तारों की टोली: एक मुहिम मेरे अधिकारों की तरफ.

ध्यान दें: ब्रेकथ्रू के किशोर -किशोरी सशक्तिकरण कार्यक्रम के अंतर्गत तारों की टोली एक ऐसा कार्यक्रम है जो स्कूलों एवं समुदाय में किशोरी संघ के माध्यम से चलता है | इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके जीवन काल के दौरान लिंग आधारित भेदभाव और हिंसा को पहचान पाने हेतु जीवन कौशल,बातचीत और निर्णय लेने की की जागरूकता और समझ प्रदान  करना है| इस कार्यक्रम में ब्रेकथ्रू के साथ स्कूल के कुछ शिक्षक और समुदाय के कुछ कार्यकर्ता भी जुड़े हैं , जिन्हें हम ध्रुव तारा के नाम से सम्बोधित करते हैं |

मैं चांदनी रावत, नवल खेड़ा, गोसाईगंज, लखनऊ की तारों की टोली की सदस्य हूँ। मैं पिछले दो साल से तारों की टोली के सत्रों में भाग ले रही हूँ। तारों की टोली के सत्र मुझे बहुत पसंद हैं क्योंकि इसमें हमें वो सब जानकारी मिलती है जो घर या स्कूल में नहीं दी जाती है। जैसे यहाँ हमें माहवारी के बारे में जानकारी दी गयी जो हमें कहीं  और नहीं मिलती।

तारों की टोली के ज़रिये हमने जाना की हमारे अधिकार क्या हैं।

तारों की टोली की सबसे अच्छी बात यह है की यहाँ सब ‘मैं’ नहीं बल्कि ‘हम’ हैं। हम जो भी करते हैं वो एक साथ मिलजुल कर करते हैं। दूसरी अच्छी बात है की यहाँ हम अपनी भाषा में बात कर सकते हैं, चाहे हिंदी इंग्लिश मिलाकर ही बोलें। यही वजह है कि हम बिना हिचक के बोलने लगे हैं। तीसरी अच्छी बात है की यहाँ सब कुछ खेल-खेल में सिखाया जाता है, हमें बहुत मज़ा आता है।

तारों की टोली के ज़रिये हमने जाना की हमारे अधिकार क्या हैं। हम कई अधिकारों के बारे में  घर वालों से भी बात करते हैं ताकि हम अपने अधिकारों से वंचित न रहें जैसे:

  • पढ़ाई करने का अधिकार
  • बाहर आने जाने का अधिकार
  • अपनी पसंद का काम करने का अधिकार
  • अपनी पसंद के कपड़े पहनने का अधिकार

तारों की टोली से हमने जो सीखा, उससे हमारे मन में कई सवाल उमड़ कर आए हैं जैसे:  

  • हम (लड़कियाँ) कई बार सही होती हैं फिर भी गाँव के लोग हमें ही गलत क्यों मानते हैं?
  • गाँव के लड़के गलत हरकतें करते हैं तो हमारे घर से निकलने पर पाबंदी क्यों? सज़ा तो उसे मिलनी चाहिए जो गलत काम कर रहे हैं।
  • क्या लड़की होना जुर्म है?
  • क्या लड़की सिर्फ चूल्हा-चौका के लिए ही है? अगर लड़कियाँ आगे पढ़ना चाहती हैं और पढ़ लिख कर नौकरी करना चाहती हैं, तो उन्हें रोका क्यों जाता है?
  • हमने अपने गाँव में ही देखा है की लड़की की शादी 14-15 साल में कर दी जाती है। जब ये गलत है तो घरवाले ऐसा क्यों करते हैं?

इन सब बातों से इतना तो सीख लिया है कि जब भी कुछ गलत हो रहा हो तो हमें एक साथ मिलकर उसके विरोध में बोलना चाहिए। अगर अत्याचार हो रहा हो तो हम पुलिस की मदद भी ले सकते हैं। हम उन सब चीज़ों पर मिलकर काम करेंगे जिनके कारण लड़कियों और औरतों को उनके हक़ नहीं मिलते। यही तारों की टोली की सबसे बड़ी सीख है।

Leave A Comment.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Get Involved.

Join the generation that is working to make the world equal and violence-free.
© 2024 Breakthrough Trust. All rights reserved.
Tax exemption unique registration number AAATB2957MF20214