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लड़का और लड़की दोनों को इंसान समझना चाहिए और बराबर का हक देना चाहिए ।.

Meena is a consultant at Breakthrough who works on the school-based intervention program in Haryana
जैसा आप सभी जानते हो क़ि Breakthrough का schools intervention program May, 2014 मे हरियाणा के चार जिलो मे शुरू किया गया ।

और इन्ही मे से एक जिला रोहतक भी है जिसके 40 schools इस प्रोग्राम का हिस्सा है और रोहतक जिले की सभी परिस्तिथियों से आप सब वाकिफ है और प्रोग्राम के पहले chapter से ही रोहतक के सांघी गांव का स्कुल सुर्खियों मे रहा है वो भी इस तरह से की GSSS जो की कागज़ो के अनुसार Co – education school है यानि लड़के और लड़किया एक साथ पढ़ते है ,पर दुर्भाग्यवश ये कागज़ झूठ बोल रहे है क्योंकि सांघी के इस स्कुल के बीच मे एक दिवार बना दी गई है जो लड़के और लड़कियों की अलग -अलग classes लगाने मे और स्कुल स्टाफ के दो हिस्से बनाने मे कामयाब रही है और एक स्कुल होते हुए भी इस स्कुल के students न तो साथ बैठकर पढ़ सकते और न ही दिवार से इधर -उधर जाने की इजाजत है ,तो आपस मे बात करने का सवाल ही नही उठता ।

और यह सब गांव के चौधरी लोगों की देन है ।

उनका कहना है अगर लड़के और लडकिया एक साथ पढ़ेगे तो ये आपस मे बात करेंगे ,प्यार करेंगे,फिर एक ही गोत्र और गांव मे शादी ,यहा तक की भाग भी जायेंगे और इससे हमारे गांव का नाम बदनाम होगा जो हम नही होने देंगे इसलिए लड़के और लड़कियो को अलग -अलग ही पढ़ाना चाहिए ।

और प्रिंसिपल ,स्कुल स्टाफ यह मान चुके है कि गांव के मुताबिक ही चलना चाहिए ।

लेकिन इस स्कुल मे breakthrough ने अपनी consultant को प्रोग्राम के माध्यम से जाने की अनुमति प्रदान की और बी टी की कार्यकर्ता के नाते स्कुल के हालात देखकर बहुत तकलीफ़ हुई लेकिन बी टी की टीम से होंसला मिलता गया और घबराने की बात थी ही नही ।

फिर धीरे -धीरे वहां के प्रिंसिपल और स्कुल स्टाफ ,सभी के बीच मे अपनी और काम की पहचान बनाई और इस स्कुल मे हर दिन एक नयी समस्या मेरे सामने रहती थी । इस स्कुल मे students की सख्यां के अनुसार तीन sessions बनते है पर मैंने वहां पांच -पांच sessions लिए । बार बार प्रिंसिपल और टीचर्स से request करती और students के sessions को लेकर और टीचर्स के बैठने को लेकर बार बार इस समस्या का सामना करना पड़ता ,कभी अपने वक्तित्व पर बात आती तो कभी अपने काम पर और ये सुनने को मिलता की क्यों दुःखी हो रहे हो इनसे कुछ नी होना -जाना ये NGOs वाले ऐसे ही होते है क्योंकि इनके पास पैसा बहुत होता है करना कुछ नी होता ।और हमारे पास फालतु समय नही है और हमारे बच्चों का समय बर्बाद करने से अच्छा अपनी हाजरी लगाओ और जाओ ।

इस बारे मे लगातार रोकी से और रोहतक ,झज्जर की टीम से बात होती रही और होंसला मिलता रहा ।
अब बी टी के कार्यकर्ता कहा इतने सीधे है की हाजरी लगाये और चले आये ।
अब यहाँ से शुरू हुआ एक नए इतिहास का और इस काम को करने की शुरुआत ।
धीरे -धीरे students और प्रिसिपल , स्कुल स्टाफ के बीच इतनी पहचान बनाई की यह काम क्यों जरूरी है ,इसकी अहमियत उन्हें समझायी और लड़के व लडकिया दोनों के स्टाफ से लगातार बातचीत करती रही और अपने काम की एक अच्छी पहचान बनाई और सभी का विशवास धीरे -धीरे बढ़ने लगा । इसके लिए मे स्कुल समय मे सभी के साथ पहुंचती और वपिस भी स्कुल बन्द होने के बाद आती ।

जब हमारा पाठ -5 यह कौन हैं? सभी स्कुल मे शुरू किया तो इस स्कुल मे 02/09/2014 को करवाया गया । इसे करवाने से पहले प्रिंसिपल और स्कुल स्टाफ से बात कि की क्या लड़के और लड़कियो की क्लास मै एक साथ ले सकती हु और उनकी मदद मांगी इसके लिए ।पहले मना किया ये नही हो पायेगा फिर उन्हें समझया और उनका काम उन्हें बताया तो वो मान गए और ये मेरे लिए पहला ख़ुशी का दिन था की सभी लड़को को लड़कियो के स्कुल मे बुलाया गया और उनके स्टाफ को भी फिर मैंने लड़के और लड़कियो की एक साथ क्लास ली और यह ख़ुशी वहा के प्रिंसिपल और स्टाफ के साथ बांटी और उन्हें पता भी नही लगा की मै करना क्या चाहती थी।बाद मे अपनी टीम को बताया सबको अच्छा लगा ।अब सभी क्लास 7 वी और 8 वी के students की लड़कियो के स्कुल मे लगने लगी और एक अच्छा बदलाव सभी मे देखकर वहा का स्टाफ खुश भी था और हैरान भी।
लेकिन 19/12/2014 को इस स्कुल मे पाठ-8 की बारी थी ,जिसका उदेश्य से आप सभी वाकिफ है । बहुत मुश्किल था दोनों के समूह बनाना और बैठना।

पर बी टी के कार्यकर्ता ने हार नही मानी और पहले प्रिंसिपल और स्टाफ को पाठ -8 का उदेश्य समझया और आज भी एक साथ क्लास ली और इस क्लास मे प्रिंसिपल ,मिडल हेड , और दोनों स्कुल के स्टाफ मे से चार टीचर्स मौजूद थे । और एक टीचर ने बी टी के रजिस्टर मे आज की क्लास के बारे मे लिखा और बाकि सभी ने पूरी क्लास देखी ।

आज इस प्रोग्राम का पहला और सबसे बड़ा ख़ुशी का दिन था मेरे लिए क्योंकि ऐसे स्कुल मे जहा लड़के और लडकिया एक साथ क्लास मे नही बैठ सकते वही इसी क्लास मे पहली बार एक सदी के बाद लड़के और लडकिया आपस मे बैठे ही नही बल्कि बात की और बहुत अच्छी -अच्छी मिल- जुलकर कहानियां लिखी और सबसे बड़ी उपलब्धि या ख़ुशी बी टी के लिये यह है कि आज इस स्कुल का रिकॉर्ड टुटा और सभी लड़के ,लड़कियां आज मिक्स होकर बैठे यानि एक लड़की ,एक लड़का सभी लाइन ऐसे ही बनी और सभी समूह की कहानिया सुनी और अपनी बात कहि लड़के और लड़कियों ने जिन्हें बोलना नही आता था आज उन्होंने कहानी को बहुत अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया और हर कहानी के बाद शिक्षा लिखी थी की लड़के और लड़कियों मे भेदभाव किया जाता है जो की नही करना चाहिये ,यह गलत है?

लड़का और लड़की दोनों को इंसान समझना चाहिए और बराबर का हक देना चाहिए ।

यह देखकर प्रिन्सिपल और स्टाफ के होश उड़ गए और बहुत देर तक कुछ भी नही बोले उन्हें समझ नही आया की ये वही students है जिन्हें हिंदी पढ़नी तक नही आती थी आज ये कहानिया लिख रहे है वो भी इतनी गम्भीर मुद्दे की ?
और मै बहुत खुश थी की मेहनत रंग लाई और अपने काम को साबित कर दिखाया ।

आज सभी स्टाफ और students से इज्जत मिलती है और बी टी का नाम और काम दिखता है । जिस टीचर ने रजिस्टर लिखा उन्होंने भी इतने सुंदर ढंग से समूह के काम को दिखाते हुए students का वो feedback लिखा जिसकी उम्मीद मुझे भी नही थी ।आज उस रजिस्टर मे जो -जो टीचर्स क्लास मे बैठती है वो अपने नाम के साथ signature करते है और पुरे पेज पर क्लास का लिखने के बाद एक तरफ प्रिंसिपल और दूसरी तरफ breakthrough consultant,signature करते है ।मै बहुत खुश हु उम्मीद है यह जानकर आप सभी भी खुश होंगे की हमारा प्रोग्राम कौन सी दिशा मे जा रहा है ये हम देख सकते है। पर इस ख़ुशी के साथ -साथ इस काम को और मजबूत और पुख्ता करने की जरूरत हैं ।और यह सब हमारी बी टी के सभी कार्यकर्ताओ के सहयोग से और हौंसलो से हो पाया है ।आप सभी को मुबारक हो ।कुछ गलत लिखा गया हो तो माफ़ करना ।

– मीना

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