एक ‘अच्छी’ लड़की – #YesAllWomen.

अगर हम अपने समाज मे  महिलाओं और लड़कियों की जीवनचर्या की बात करे तो रोज़मर्रा किसी न किसी रूप मे उनके साथ यौन उत्पीड़न होता है। और पुरुष इसे सही ठहराते हुए यह दावा करते है कि यौन उत्पीड़न उन महिलाओ और लड़कियों के साथ होती है, जो  छोटे कपड़े  पहनती है, देर रात तक घर से बाहर रहती है, लड़कों के साथ घूमती है।

इसलिए आज मैं भी अपना एक अनुभव साँझा करने जा रही हूँ, क्योंकि मै भी इसी समाज मे रहती हूँ और मैंने वो लड़की बनने की हमेशा कोशिश की है जिसे हमारे समाज मे अच्छी,सीधी, और सुशील लड़की कहा जाता है। इसलिए एक अच्छी लड़की बनने के लिए मैंने हमेशा सूट और सलवार पहना है, दुपट्टा ओढ़ने का तरीका भी अलग होता जिससे मे अपने पूरे शरीर को ढककर रखती, पूरी बाज़ू का सूट और उसका गला इतना ही बनवाती की जिससे कुत्ता पहना जाये ।यहाँ तक की स्कूली पढ़ाई भी बीच मे रोक दी ये सोचकर की घर से बाहर अच्छी लड़कियाँ नही जाती और यह सब लम्बे समय तक चलता रहा। इसी डर और शर्म मे जैसे भी मैं कॉलेज तक पहुंच गयी ।

जब मे B.A. 2nd year की स्टूडेंट् थी तब मेरी ही क्लास के लड़कों ने क्लास रूम मे चारों तरफ और ब्लैक बोर्ड पर मेरा नाम लिख डालाऔर दिल का चित्र बना दिया। जिस बैंच पर मै बैठती थी, उस पर भी यही किया । मैंने प्रिसिंपल से शिकायत की तो उन्होंने बुलाया और उन लड़कों से माफ़ी मंगवाई ।लेकिन उसके बाद मेरा कॉलेज जाना बहुत मुश्किल हो गया। उस माफ़ी के बदले प्रतिदिन रास्ते मे मेरे साथ वो लड़के छेड़छाड़ करने लगे, कभी दुपट्टा खिंच लेते, कभी बालो और कंधों को चलते चलते छूकर निकल जाते। यहाँ तक की एक दिन तो बाइक पर आये और मेरी ब्रैस्ट पर जोर से  थप्पड़ मारा और निकल गए। उनका लड़को का ग्रुप और बड़ा होता गया और मेरे घर तक के रास्ते मे मुझे परेशान करने लगे।यहाँ तक की  जो भी लड़कियां मेरे लिए बोलती और मेरे साथ होती, उन्हें भी उनके द्वारा  डराया गया। इसका नतीजा ये हुआ कि उन्होंने मेरे साथ आना जाना बंद कर दिया ।

जब कॉलेज मे स्टाफ को बताया तो कहने लगे कि तुम ही ऎसी होगी वरना लड़कियाँ तो और भी हैं उनके साथ तो कुछ नही होता, केवल तुम्हारे साथ ही क्यों होता है।और इस सबके चलते मैने कॉलेज जाना बंद कर दिया पर जिसे भी मैने कहा कि मुझे परेशान किया जा रहा है तो सब मेरी ही गलती निकलते और कहते  की तुमने ही कुछ कहा होगा ,या तुम ही हंसी होगी उनको देखकर और मैं ये सब सुनकर और झेलकर बहुत थक चुकी थी। मैंने ना तो छोटे कपड़े पहनें थे,ना मैं लड़को के साथ घूमती थी, ना ही देर रात को घर से बाहर निकलती थी, फिर भी मे्रे साथ यौन उत्पीड़न हुआ जिसका असर मेरे जीवन मे लम्बे समय तक रहा ।

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