“यदि आप मतदान नहीं करते हैं तो आप शिकायत करने का हक़ खो देते हैं।”
-जॉर्ज कार्लिन
समाजिक आलोचक जॉर्ज कार्लिन के कहे गए ये शब्द क्या आज भी तर्कसंगत लगते हैं? क्या आज भी राजनीतिक गलियारों में हमारे एक वोट का वाकई में कोई मान है?
भारत के चुनाव आयोग के स्थापना दिवस को चिह्नित करने के लिए भारत हर साल 25 जनवरी को नेशनल वोटर डे (राष्ट्रीय मतदाता दिवस) मनाता है। इसको मनाने का प्रमुख उद्देश्य यही है कि युवा वर्ग में वोटिंग को लेकर एक प्रभावी उत्साह पैदा किया जाए। अगर युवा आबादी की बात करें तो भारत में 65% व्यक्ति युवा है। वर्ष 2020 से भारत में 45 मिलियन युवा आबादी वोट देने के लिए तैयार है। इसके बावजूद ग्राउंड लेवल पर युवाओं ने वोट के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई।
भारत में युवा लोगों के बीच मतदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, सिविक स्टूडियोज़, मुंबई में स्थागित एक मीडिया स्टार्टअप आपके लिए लेकर आया है एक कॉमेडी वीडियो फैमिली डिनर: नहीं करूंगा वोट। इस वीडियो में पहली बार वोट करने वाला एक युवा आर्यन वोट देने के लिए अनिच्छुक है। उसका मानना है कि अगर मुझे उम्मीदवारों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है, तो क्या मुझे वोट देना चाहिए? नोटा क्या है? अगर मुझे लगता है कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में अच्छे उम्मीदवार नहीं हैं तो मुझे वोट क्यों देना चाहिए? क्या परिवार पहली बार युवा मतदाता के इन सवालों का जवाब दे पाएगा?
युवा मानसिकता और मतदान
युवा काल को स्टेनले हॉल ने “तूफान का काल” कहा है। इस दौरान आज के युवा में समाज को बदलने की लगन और उनके आत्मविश्वास शिखर पर होते हैं। कई बार युवा राजनीति को अपने नज़रिए से देखते हैं और समाज की समस्याओं से खुद को जुड़ा हुआ पाते हैं।
वे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अपनी ओर से बहुत कोशिश करते हैं और कहीं न कहीं उनके हाथ निराशा लगती है। उदाहरण के तौर पर युवा वर्ग में सबसे अधिक जो समस्या देखने में आती है वो है बेरोजगारी। जब तक एक युवा 18 साल का होता है तब तक वो एक सीमित दायरे में अपना जीवन गुज़ार चुका होता है और जैसे ही वह वयस्क की सूची में आता है उसमें आवेग और कुंठा की स्तिथि पैदा हो जाती है। जो सीधेतौर पर राजनीति को और उसके बनाए हुए नियमों से खुद को सम्बंधित नहीं कर पाता।
इसी विचार को लेते हुए कई बार उनका मत होता है कि वो वोट नहीं देंगे क्योंकि उनके द्वारा चुना गया नेता उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता और कहीं न कहीं वो खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगते हैं।
Source: Election Commission of India Lok Sabha
भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक स्तिथि काफी हद तक सामान्य लोगों के नज़रिए में हमेशा से धुंधली और ओझल रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है अक्सर सरकार वोट जीतने के बाद किए गए अपने वादों को भूल जाती है और आम नागरिक परेशान होते हैं। ये सबसे आम बात है आज के युवा के मन में। जो उनके मन और मष्तिष्क को इस तरह घर कर गयी कि उसका बाहर निकलना बहुत मुश्किल है। यहां एक बात गौर करने वाली है कि वोट न देना कोई समाधान नहीं है बल्कि हर नागरिक को वोट देने जाना चाहिए क्योंकि ये एक बदलाव लाने का प्रभावशाली साधन है। हर नागरिक का हक़ है कि वो अपने देश का नेता चुने। ये एक आवश्यक आयाम है।
युवा पीढ़ी किसी भी देश का आधार होते हैं। सबसे ज़्यादा ऊर्जा और उत्साह भरपूर मात्रा में मौजूद होता है। युवा देश के लोकतंत्र और समाजतंत्र कि रीढ़ हैं। अगले महीने भारत के 5 राज्यों में वोटिंग होने वाली है और हमारा कर्तव्य बनता है कि हम वोट देने जाएं। लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए युवाओं की भगीदारी का होना बहुत ज़रूरी है।वोट देने के अधिकार को जानें, और इसका इस्तेमाल करें क्योंकि आपका वोट देना ही समाज को रहने योग्य बनाता है।
भारत को बेहतर बनाने के लिए ऐसे कई कॉमेडी वीडियोज़ का संकलन आपके लिए तैयार है। आप इन्हें सिविक स्टूडियोज़ के यूट्यूब चैनल पॉकेट चेंज (PocketChange) पर देख सकते हैं।
पूरा वीडियो यहां देखें: वीडियो
आंकड़ों का स्त्रोत- Report