हिन्दी भारत की एक प्रसिद्ध भाषा है। अधितकर उत्तर भारत के लोग हिन्दी भाषा के माध्यम से ही बात चीत करते हैं। इस हिन्दी दिवस, चलिए जानते हैं कुछ लेखिकाओं के बारे में जिन्होंने अपनी नारिवाद रचनाओं के द्वारा महिलाओं के जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर विचार व्यक्त किए।
- महादेवी वर्मा –
महादेवी वर्मा, जिन्हें “आधुनिक युग की मीरा” के नाम से जाना जाता था, एक भारतीय कवयित्री थीं और एक स्वतंत्रता सेनानी भी थीं। उन्होंने महिलाओं के जीवन, प्राकृतिक दुनिया, और एक अनजान प्रिय की लालसा के महत्वपूर्ण विषयों के साथ बड़ी संख्या में कविताओं और लघु कथाओं का निर्माण किया। कविताएँ निहार (1930), रश्मि (1932), नीरजा (1934), और संध्या गीत (1936), जो सभी कविता संग्रह “यामा” में एक साथ प्रकाशित हुई थीं, उनकी कुछ सबसे प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। उन्होंने भारतीय महिलाओं के जीवन के कई मुद्दों को संबोधित करने वाली गद्य रचनाएँ भी लिखीं।
- कृष्णा सोबती –
कृष्णा सोबती अपनी दुस्साहसिक भाषा और आवाज़ के लिए प्रसिद्ध हिंदी साहित्य की एक निडर उपन्यासकार थीं। सोबती ने खुले आम महिलाओं पर अत्याचार करने वाले पारंपरिक मानदंडों की आलोचना की। उन्होंने भारत-पाकिस्तान विभाजन के बारे में बात की और वह उन कुछ लेखकों में से एक थीं जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से महिला कामुकता की खोज की थी। उन्हें उनके काम “ज़िंदगीनामा” के लिए 1990 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
- मन्नू भंडारी –
हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के साथ, मन्नू भंडारी एक संवाद और कथा लेखिका भी थीं। उनके लेखन में भारत में एक दमनकारी संस्कृति के साथ-साथ इसके नैतिक और सांस्कृतिक आदर्शों के माध्यम से एक महिला की यात्रा को दर्शाया गया है। अपने काम “एक कमजोर लड़की की कहानी” में वह एक युवा लड़की की कहानी बताती हैं, जिसके पास साहसी विचार हैं, लेकिन सामाजिक और सांस्कृतिक अपेक्षाओं के कारण उनपे कार्रवाई करने में असमर्थ हैं ।
- मृणाल पांडे –
मृणाल पांडे एक भारतीय टेलीविजन व्यक्तित्व होने के साथ-साथ एक पत्रकार और एक लेखिका भी हैं। वह एक सफल लेखिका हैं जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लिखती हैं। उनकी रचना “देवी”, पुरुष प्रधान समाज को चुनौती देने वाली शक्तिशाली महिला स्वरों का एक संग्रह है। वह किताब में दावा करती हैं कि उनके जीवन में मज़बूत महिलाएं- जैसे उसकी मां, मौसी, कार्यकर्ता और वेश्याएं- देवियों के अवतार हैं। “गर्ल्स”, जो पहले हिंदी में प्रकाशित हुई और बाद में अंग्रेजी में अनुवादित हुई, एक और प्रसिद्ध कहानी है।
- गीतांजलि श्री –
गीतांजलि श्री एक भारतीय हिंदी भाषा के उपन्यासकार और लघु-कथा लेखिका हैं। यह भारत की पहली लेखिका हैं जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता है। वह भारत के विभाजन की छाया में स्थापित एक पारिवारिक नाटक, अपनी पुस्तक “रेत समाधि” में अपने पति के निधन के बाद एक 80 वर्षीय महिला का अनुसरण करती है। 50,000 पाउंड की पुरस्कार शॉर्टलिस्ट में आने वाला यह हिंदी में लिखा गया पहला उपन्यास है।