कैसे हो तुम?.

जानता हूँ बड़ी ग़लतियाँ

की है मैंने…जब मैं

तुम हुआ करता था…

पढ़ाई करो के ताने सुनने

को मिलते थे…

दोस्तों से कभी बातों के

ठहाके हुआ करते थे…  

बीमार थे तुम बहुत, मैं

जानता हूँ…हिम्मत भी

तुम हार से गए थे, ये भी

मैं जानता हूँ ..

खुश हूँ मैं आज कि मेरा

बचपन भी मासूमियत से

बीता है…  

ग़लतियाँ कौन नहीं करता

पर समझाने वाला भी तो

कोई होता है…

खुश हूँ मैं आज तेरी वजह से…

कुछ है मेरे पास भी किस्से

किसी को बतलाने के….

वो दोस्ती की प्यार भरी झप्पी  

और माँ बाप की थपकी, आज भी मुझे

याद है…

मेरा अस्तित्व आज तेरी वजह से कुछ

ख़ास  है…

सपने ना देखने की गलती ना

करना कभी…

वो गिटार जो आज भी उस धूल से

लिपटा पड़ा है…

उसे एक मुकाम तक ले कर

जाना, यही मेरी सलाह है…

अपनी गलतियों से कभी हिचकना नहीं

क्योंकि बातों को इज़हार करना भी एक कला है

कोई शिकवा नहीं है तुमसे छोटे

क्योंकि तेरे होने से ही आज मैं यहाँ हूँ

मेरी आज की खुशी में तेरा

अस्तित्व छुपा है…

हाँ याद ज़रूर आती है तेरी…

क्योंकि हर यादों में तेरी मासूमियत

और प्यार जो छुपा है…

Note: 2018 में ब्रेकथ्रू ने हज़ारीबाग और लखनऊ में सोशल मीडिया स्किल्स पर वर्कशॉप्स आयोजित किये थे। इन वर्कशॉप्स में एक वर्कशॉप ब्लॉग लेखन पर केंद्रित था। यह ब्लॉग पोस्ट इस वर्कशॉप का परिणाम है।

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