जनपद सिद्धार्थनगर (उत्तर प्रदेश) शिक्षा के क्षेत्र में आज भी बहुत पिछड़ा है, विशेषकर यहाँ पर महिलाओं एवं लड़कियों का साक्षरता दर बहुत ही कम है। और तो और ड्रॉपआउट रेट उतना ही अधिक। इसका एक प्रमुख कारण स्कूल में बुनियादी सुविधाओं जैसे शौचालय तथा पेयजल की सुविधा का न होना अथवा उन तक लड़कियों का पहुँच न होना है। इस सामाजिक एवं स्थानीय मुद्दे पर ब्लॉक जोगिया की संगठन की महिलाओं ने एक जन जागरूकता एवं पैरवी के द्वारा स्थिति में बदलाव व सुधार की गरज से एक अभियान की शुरुआत की।
संगठन की महिलाओं ने सबसे पहले अपने समूह की बैठकों में चर्चा करना प्रारम्भ किया और उन्हें प्रेरित करते हुए इस मुहिम में शामिल किया और एक जन आंदोलन के रूप में कार्य प्रारम्भ किया। महिलाओं ने क्षेत्र के 5 स्कूलों में शौचालय की स्थिति पर एक सर्वे एवं अध्ययन किया और अध्यापकों एवं छात्रों से शौचालय के उपयोग एवं उसके महत्व पर बात चीत की।
चर्चा से निकलकर आया की शौचालय की उपयोगिता सभी के लिए ज़रूरी है, विशेषकर लड़कियों के लिए। पर लगभग सभी जगहों पर शौचालय या तो बंद हैं या फिर उसका उपयोग नहीं है क्योंकि न तो वहां पानी की व्यवस्था है और न ही स्वच्छ एवं साफ़ शौचालय है जिसका उपयोग किया जा सके।
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ऐसी स्थिति में महिला संगठन की सदस्यों ने पंचायत स्तर पर समुदाय व अन्य हितभागियों के साथ शौचालय की स्थिति एवं उसके उपयोग व महत्व पर चर्चा कर उसमें सुधार हेतु सामूहिक पहल एवं प्रयास के लिए लोगों को अभियान में शामिल होने के लिए अपील किया। ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस पर उपस्थित एएनएम,आशा, आंगनवाड़ी को शौचालय के महत्व पर जानकारी देते हुए उन्हें मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता एवं सेनेटरी पैड के उपयोग एवं उसके महत्व पर भी चर्चा किया और अपील किया की वह किशोरियों को पोषण दिवस के अवसर पर इसके बारे में जानकारी प्रदान करें।
इसके अलावा 16 सदस्यों वाली नारी संघ के पदाधिकारियों ने पंचायत स्तर पर समुदाय को प्रेरित किया और स्कूलों में शौचालय तक किशोरियों की पहुंच बनाने व उसके उपयोग को सुनिशचित करने के उद्देश्य से ब्लॉक स्तर पर एक बैठक का भी आयोजन कर अपनी बात को ब्लॉक समन्वयक के साथ साझा किया और सुविधाओं को सुनिशचित कराने का प्रस्ताव रखा।
अभियान का नेतृत्व कर रही नारी संघ की अध्यक्ष बासमती एवं सचिव उर्मिला ने लोगों से आह्वान किया कि हमारा यह अभियान तब तक चलेगा जब तक स्कूलों में शौचालय की स्थिति में सुधार नही हो जाता। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि स्कूलों में शौचालय न होने से हमारे गांव की बेटियां आगे की शिक्षा से वंचित न रहे। हमारी यह भी प्रयास है कि स्कूल न जाने वाली लड़कियों को चिन्हित कर और उनके माता पिता को प्रेरित करके उन्हें पुनः स्कूल में दाख़िला दिलाया जाए। इसके लिए उन्होंने स्थानीय अध्यापकों से भी सहयोग के लिए अपील किया है।