मेरी कहानी, मेरी ज़ुबानी।.

मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ और मेरा परिवार बहुत बड़ा है। माँ-पापा, भाई के अलावा, मेरे चाचा-चाची और चचेरे भाई -बहन भी रहते हैं, लेकिन हम एक घर में रहने के बावज़ूद भी एक दूसरे से बहुत दूर हैं। चाचा और पापा में कुछ बात को लेकर नाराज़गी है। मैं जब छोटी थी, तब मैं बहुत खुश रहती थी कि मेरा परिवार औरों के परिवार  जैसा नहीं है, सब मिल कर रहते है, लेकिन ऐसा ज्यादा दिन तक नहीं हो पाया।

मेरे चचेरे भाई-बहन से मेरी अच्छी बनती है लेकिन फिर भी वे मुझे अलग मानते थे। मैं उनके साथ रहती, लेकिन मुझे उनसे अपनापन नहीं मिलता था। वे लोग मुझसे बड़े थे। वे पढ़ाई में मुझसे ज़्यादा ज्ञान रखते थे। मैं स्कूल में थी और वे  कॉलेज में। मैं पढ़ाई में कमजोर हूँ, ऐसा वे बोलते थे, जिस वज़ह से मुझे भी ऐसा लगने लगा कि वाकई में, मैं कमज़ोर हूँ। लेकिन मेरे माँ-पापा बोलते थे की तुम औरों की बातों पर ध्यान मत दो,अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो।

मैं अपने माँ-पापा के बात से सहमत हो कर,उनके बातों पर ध्यान नहीं देती। मैं बस अपने पढ़ाई पर ध्यान देती थी,लेकिन इसके बावजूद भी मुझे अच्छे अंक नहीं आते थे। फिर किसी तरह से मैंने अपना स्कूल पूरा  किया और कॉलेज में आई, तब मुझे एक बहुत ही अच्छे इंसान मिले, जो मेरी कमज़ोरी को समझने लगे। उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि मेरे साथ यह सोच बचपन से चली आ रही है। मुझे लोगों से सही मार्गदर्शन नहीं मिला है। लोग मेरे आत्मविश्वास को कम करते रहे हैं। उनके साथ मेरी दोस्ती और गहरी हो गयी। वे मुझे हर वो चीज़ के लिए प्रोत्साहित करते थे जो मुझे लगता की मैं कभी भी नहीं कर सकती।

यह सोच मेरे ख़ुद का बनाया हुआ था कि मैं कुछ भी नहीं कर सकती। मेरे जीवन में उनके दोस्त बन कर आने से मेरा पूरा जीवन बदल गया। अब मैं वो हर काम करने लगी, जिससे मैं डरती थी। अपने कॉलेज के आख़िरी दिनों की परीक्षा की तैयारी करने लगी, जिसमें उन्होंने मेरा बहुत साथ दिया। मैं परीक्षा दी और मैं अपने प्रयास से बहुत ख़ुश थी, लेकिन रिजल्ट में फिर वही हुआ कि मैं द्वितीय श्रेणी में आयी। मैं फिर से निराश हो कर बैठ गई और सोचने लगी कि मैं कभी अच्छा रिजल्ट नहीं ला सकती,अपने चचेरे भाई -बहनों की तरह।

मैंने अपनी पढ़ाई रोकने की सोच ली। लेकिन मेरे दोस्त ने हिम्मत नहीं हारी और मुझे आगे पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने मेरा नामांकन ख़ुद से विश्वविद्यालय में करवा दिया। मुझे ख़ुद पढ़ाने लगे जब कि उनकी नौकरी लग गयी थी और उन्हें ज़रा भी समय नहीं मिलता था कि वो मुझे पढ़ा पाएँ, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। समय ना मिलने के कारण वो  मुझे फ़ोन पर पढ़ाने लगे। इसी दौरान परीक्षा का समय आ गया और मैंने परीक्षा दिया। इस परीक्षा से मैंने कोई उम्मीद नहीं लगाई थी, मैं तो जान रही थी कि मैं कुछ भी कर लूँ, मैं अच्छा रिजल्ट नहीं ला सकती। लेकिन मेरे दोस्त का यही कहना था कि तुम फर्स्ट करोगी।

ऐसे ही दिन बीतते चले गए और रिजल्ट का दिन आया। मेरी यूनिवर्सिटी की सारी दोस्त रिजल्ट देखने के लिए उत्साहित थी,लेकिन मैं बिल्कुल उत्साहित नहीं थी। तभी यह पता चला कि रिजल्ट नोटिस बोर्ड पर लग गया है। मेरी सारी दोस्त बोर्ड की तरफ़ दौड़ पड़ी। मैं बैठी हुई रही क्योंकि मुझे पता था कि क्या होने वाला है। फ़िर मैंने सोचा चलो जो भी है रिजल्ट देख लेती हूँ। मैं बोर्ड के तरफ़ गयी और अपना नाम ,रोल नंबर ढूंढ, देखा की मैं पास हूँ, लेकिन तभी मेरी नज़र मेरे नाम के ऊपर पड़ी जिसे हाईलाइट किया गया था।

मुझे कुछ समझ नहीं आया। तभी मेरे पास से, मेरे क्लास के टीचर गुज़र रहे थे, मैंने उन्हें रोक कर पूछा कि मेरा नाम हाईलाइट क्यों किया गया है। मेरे टीचर ने मेरे रिजल्ट को देखते हुए कहा, इसलिए है क्योंकि तुम 3rd topper हो। उस बात को सुन कर मैं कुछ देर तक समझ नहीं पाई की सर ने बोला क्या है। मुझे लगा मुझे सुनने में ग़लती हुई है। मैं वहाँ से गुज़रने वाले सभी लोगों को रोक -रोक कर मेरा रिजल्ट देखने को कह रही थी। सब ने मुझे वही कहा, जो मेरे टीचर ने बोला। उस वक्त मेरी ख़ुशी की कोई हद नहीं थी। मैं अंदर से बहुत ख़ुश थी, लेकिन मेरे आँखों में आँसू आ रहे थे। जिसके लिए मैं कितने दिनों से मेहनत कर रही थी और मेहनत करते-करते हार भी मान चुकी थी, वो मुझे अब जा कर मिला।

मैंने सब से पहले अपने माँ -पापा को फ़ोन किया और अपने रिजल्ट के बारे में बताया। ये सुनकर उन्होंने मुझे इतना ही कहा कि मैंने बोला था ना की तुम सब कर सकती हो, तुम तो मुझ से भी ज़्यादा जानकारी रखती हो। ख़ामख़ा में डरती थी। इस रिजल्ट के बाद मुझ में हिम्मत आ गयी कि मैं भी कुछ कर सकती हूँ। दिन बीतता गया और मैं बहुत आत्मनिर्भर हो गई और आज मैं लोगों के बीच में अपनी बात रख सकती हूँ।

Note: 2018 में ब्रेकथ्रू ने हज़ारीबाग और लखनऊ में सोशल मीडिया स्किल्स पर वर्कशॉप्स आयोजित किये थे। इन वर्कशॉप्स में एक वर्कशॉप ब्लॉग लेखन पर केंद्रित था। यह ब्लॉग पोस्ट इस वर्कशॉप का परिणाम है।  

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