नमस्ते चाचा जी, नमस्ते चाची
मेरा नाम है रश्मि। आप चाहें तो मुझे प्यार से किसी भी नाम से पुकार सकते हैं। मैं आपके आस–पास दिखने वाली किसी भी आम लड़की सी हूँ। आप की बेटी–भतीजी सी, नाती–भांजी सी।
मेरी उम्र 10 साल है। मैं स्कूल में पढ़ती हूँ।
चाचा जी–चाची जी, मैं आपको बताऊँ मेरा सपना क्या है?
मेरा सपना है कि मैं मेट्रिक पास करूँ।
पर मैं जब भी अपनी इच्छा ज़ाहिर करती हूँ तो मुझे बताया जाता है कि मेट्रिक से पहले तो मेरी शादी कर दी जायेगी। मुझे हमेशा सुनने को मिलता है कि सयाने होने पर मेट्रिक नहीं, शादी की जाती है।
पर चाचा–चाची,
मैं पढ़ना–लिखना चाहती हूँ, जीवन में कुछ बनना चाहती हूँ। मैं लड़की हूँ पर जीवन में कुछ करने का, कुछ बनने का मेरा भी सपना है। जिस से आपको, मेरे माँ–पिता जी को मुझपर गर्व हो।
मेरे पापा भी चाहते हैं कि मैं कुछ बनूँ, आगे पढूं। वो हमेशा मुझसे कहते हैं कि वो मुझे आगे पढ़ाएंगे। वो तो मुझे आगे पढ़ाना चाहते हैं और मेरी शादी, शादी की कानूनन उम्र– 18 साल की उम्र के बाद ही करना चाहते हैं। पर आस–पड़ोस, नाते–रिश्तेदारों के बार–बार ज़ोर डालने से वो मुझे परेशान दिखते हैं। बार बार जल्दी शादी की रट से मुझे वो अकेले पड़ते नज़र आते हैं।
पर चाचा, मुझे भरोसा है कि आप मुझे पढ़ाने की बात कहेंगे तो मेरे पिता जी के हौसले और इरादे को बल मिलेगा। आप कहेंगे तो उनपर मेरी शादी जल्दी करने का दबाव कम होगा। और वो सम्मान और हिम्मत के साथ मुझे आगे पढ़ाएंगे, आगे बढ़ाएंगे।
इसलिए चाचा जी, चाची जी, अगली बार आप जब भी अपने आस–पड़ोस, नाते–रिश्तेदारी में मेरी उम्र की किसी भी लड़की के पिता से मिलें तो उनसे ज़रूर कहें कि शादी से पहले बेटी को पढ़ाई ज़रूर पूरी करने दें।
ताकि देश की बाकि 8 करोड़ लड़कियों की तरह एक और लड़की की शादी 18 साल से पहले न हो। और वो पढाई पूरी कर सके ।
धन्यवाद। नमस्ते।
आपकी रश्मि।