हम अपने आस पास कई बार इस शीर्षक को सुनते हैं किंतु इसकी मिसाल सुनने को कम ही मिलती है। ऐसी ही मिसाल बने शिवपुर ग्राम पंचायत के रामगंज गांव के किशोर व वहाँ की महिलाएँ।
यह गांव गोरखपुर के कंपिएरगंज ब्लॉक में घने जंगलों के बीच स्थित है। जंगलों से घिरे होने की वजह से वहाँ के लोग कई प्रकार की समस्या का सामना करते हैं। ऐसे ही एक बड़ी समस्या थी वहाँ पर अवैध रूप से चल रही शराब की भट्टी। यह भट्टी एक स्थानीय व्यक्ति चला रहा था और घने जंगलों के बीच उसका यह धंधा काफी ज़ोर शोर से चल रहा था क्योंकि यहाँ पर लोगों को कम दाम मे शराब उपलब्ध हो जाती थी। किंतु इससे त्रस्त थे वहाँ के किशोर-किशोरी, महिलाएं व अन्य स्थानीय लोग।
शराब के चलते आए दिन घरों मे कलह होती जिससे महिलाएं, बच्चे रोज़ रोज़ हिंसा के शिकार होते। न तो बच्चों की पढ़ाई समय से हो पाती और घर मे आने वाला पैसा भी शराब की उस दुकान पर चला जाता जिससे वहाँ के अधिकांश घरों की आर्थिक स्थित भी बेहद खराब थी।
गांव की कुछ महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह से जुड़कर कुछ करने की सोची तो पुरुष जो शराब के शौकीन थे, उनका वह पैसा जबरन छीन कर शराब मे उड़ा दिए व विरोध करने पर मार पीट करने से बाज़ नहीं आए। यह सब सहते सहते महिलाएं व बच्चे ऊब चुके था और शायद इसे अपना दुर्भाग्य मान बैठे थे।
उन्होंने अपनी बात वहाँ के प्रधान के सामने रखी तो उन्होंने अपने आप को सीधा सामने न लाने की बात कही। किंतु प्रधान ने भरोसा दिलाया की अगर वह खुद कुछ करेंगे तो वह उनका साथ देंगे|
कहते हैं ना, जब पानी सर से ऊपर जाता है तो मनुष्य कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। अब ऐसे ही हालात आ गई थी इन लोगों के सामने, जिसमे उन्हे ही पहल करनी थी। एक दिन सभी ने मिलकर सामूहिक निर्णय लिया और मौका देखकर शराब की भट्टी पर धावा बोल दिया। भट्टी को तहस नहस कर डाला। उनके इस साहसी कदम को देखकर गांव के अन्य लोगों ने भी उनका उत्साहवर्धन किया।
इस घटना के बाद न तो भट्टी मालिक ने दोबारा से वहाँ भट्टी लगाने का साहस किया और न ही कोई विशेष प्रतिरोध। अब वह जान गया है की लोग एकजुट हो गए हैं और दोबारा से ऐसा करने पर और अधिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। सही कहते हैं, दर के आगे जीत है और एकता में बल है।
ध्यान दें: इस घटना के पात्रों की सुरक्षा को ध्यान मे रखकर उनके नाम नहीं लिखे गए हैं तथा ग्राम व ग्राम पंचायत के नाम भी काल्पनिक है।