बदलाव.

27 जनवरी की सर्द सुबह. संस्थागत कार्यों से रांची होते दिल्ली जाने की तैयारी में था. वक़्त यही कोई सुबह के सात साढ़े सात बजे होंगे. अचानक मोबाइल ने बजना प्रारम्भ कर दिया. देखा तो बरही प्रखण्ड के कोल्हुवाकला के मुखिया श्री रघुबीर यादव जी का फ़ोन था. मैंने फ़ोन उठाया तो मुखिया जी ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में अभिवादन करते हुए बात करना प्रारंभ किया. मैंने भी मुखिया जी का अभिवादन स्वीकार करते हुए बातचित को आगे बढाया. बातचीत करने पर पता चला की पिछले एक माह (दिसम्बर 2014 से जनवरी 2015) के अन्तराल में मुखिया जी ने स्वयं के प्रयास से कुल तीन बाल विवाह रोक पाने में सफल हुए हैं तथा उनके इस कार्य से जहाँ एक ओर तीन-तीन बच्चियों का जीवन तबाह होने बच गया था वहीँ समुदाय के बीच मुखिया के प्रति आक्रोश पैदा हो गया है. बच्चियों के परिज़न मुखिया को उनकी बच्चियों के सुखमय वैवाहिक जीवन में बाधक मान रहे थे. वे उनपर आरोप लगा रहे थे की अच्छा लड़का मिल रहा था पर मुखिया ने कम उम्र के दुष्परिणामों तथा मौजूदा कानून का हवाला देकर बच्चियों के विवाह को रुकवा दिया तथा इसकी चर्चा गांव के अन्य प्रबुद्ध लोगों के बीच करके उनका भी समर्थन प्राप्त कर लिया.

इसी पशोपेश में पड़े मुखिया को मुझसे मदद की आस थी. वे चाहते थे कि मैं उनके गांव आकर सम्बंधित लोगों को समझाऊँ परन्तु मैं भी तत्काल मदद कर पाने की स्थिति में नहीं था क्योंकि संस्थागत ज़रूरी कार्य होने के कारण मेरी दिल्ली यात्रा टल नहीं सकती थी सो मैनें मुखिया जी से आग्रह किया कि किसी तरह मामले को 3 फ़रवरी तक सम्हालें. उसके बाद मैं ज़रूर आऊंगा. दिल्ली की यात्रा और प्रवास के दौरान मेरा संपर्क लगातार मुखिया से फोन पर बना रहा, इस बीच मैंने वस्तुस्थिति की जानकारी सम्बंधित प्रशासनिक अधिकारियों को फोन पर दे दी और यात्रा समाप्त होते ही मुझे कोल्हुवाकला गांव जाने का मौका अंततः 6 फ़रवरी को मिल ही गया. हजारीबाग से जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी को साथ ले कर मैं अहले सुबह बरही के लिए रवाना हो गया.

पर समुदाय से इस संवेदनशील मुद्दे पर कैसे बात करनी है इस बारे में मैं ज़रा सशंकित था क्योंकि सीधे तौर पर प्रभावित परिवार या बच्ची से बात करना अथवा इशारा होना मुनासिब नहीं था और यह उनके  भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता था जो कहीं से उचित नहीं था. इसका हल निकाला पुलिस उपाधीक्षक और बरही के डिप्टी कलेक्टर ने. अधिकारियों ने सुझाव दिया कि एक सामान्य ग्राम स्तरीय बैठक का आयोजन किया जाए और सामूहिक रूप से बाल विवाह के दुष्परिणामों पर चर्चा की जाए तथा अंत में मौजूदा कानून और प्रावधानों के बावत चर्चा की जाए. इस बैठक में प्रभावित परिवार के लोग भी रहेंगे जिससे उनतक भी सन्देश पहुँच जाएगा और सामूहिक परिचर्चा के कारण उनके सम्मान और भावनाओं को भी ठेस नहीं पहुंचेगी. बात जंच गई और आनन फानन में मुखिया को एक ग्राम स्तरीय बैठक आयोजित करने को कहा गया. मुखिया ने सभी लोगों को इकठ्ठा किया और कोल्हुवाकला के करगईयो प्राथमिक विद्यालय के मैदान में बैठक का आयोजन हुआ. बैठक में बतौर मुख्य अतिथि पुलिस उपाधीक्षक श्री अविनाश कुमार तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में डिप्टी कलेक्टर श्री संजय कुमार और हजारीबाग के जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी श्री संजय प्रसाद उपस्थित हुए तथा हम सब ने बारी बारी से ग्रामीणों के समक्ष बाल विवाह के दुष्परिणामों, लिंग भेद के मुद्दों और बालिका शिक्षा के महत्व पर अपने-अपने विचार रखे. ग्रामीणों से मुद्दे पर सीधी बातचित प्रभावी रही तथा लोगों ने सभा के दौरान बाल विवाह नहीं करने की बात कही. बैठक में महिला/पुरुष और युवाओं को मिला कर कुल 86 ग्रामीण उपस्थित हुए. यह ग्राम स्तरीय बैठक पूरे दिन क्षेत्र में चर्चा का विषय बना रहा क्योंकि पहली बार किसी एन.जी.ओ. द्वारा आयोजित ग्राम स्तरीय बैठक में सरकार के वरीय पदाधिकारियों की सक्रिय भागीदारी रही तथा एक तरह से कार्यक्रम के आयोजन से लेकर संचालन तक में उपस्थित अधिकारियों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की तथा ब्यूरोक्रेसी में आमतौर पर पाए जाने वाले अहं के बगैर एक आम सामाजिक कार्यकर्ता की तरह अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया में एक मिसाल कायम की. एक पिछड़े गांव में जो समस्याएँ आम तौर पर होती हैं उन सभी समस्याओं से यह गांव भी जूझ रहा है. आवागमन के सिमित संसाधन और प्रखण्ड मुख्यालय से इस गांव की 25 किलोमीटर तथा जिला मुख्यालय से 71 किलोमीटर की दुरी यहाँ के ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं और कई महत्वपूर्ण जानकारियों से वंचित करता है. मुखिया रघुबीर यादव को पिछले वर्ष एक बाल विवाह को रुकवाने में अपनी उत्कृष्ट भूमिका और सार्थक पहल की वज़ह से ब्रेकथ्रू की उपाध्यक्ष सह राष्ट्रीय निदेशक श्रीमती सोनाली खान तथा क्रियान्वयन निदेशक श्री जोशी जोस द्वारा 15 अक्टूबर 2014 को झारखण्ड के रांची में राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है. ये वही मुखिया हैं जिन्होंने दिसम्बर 2012 में मुझसे पहली मुलाकात में अपने पंचायत में बाल विवाह नहीं होने की बात कही थी और कार्यक्रम में खास रूचि भी नहीं लेते थे. वक्त का पहिया घूमता गया… कार्यक्रम चलते रहे… मोबाइल वैन, पंचायती राज प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण, किशोरी मेलाओं का आयोजन, सरकारी अधिकारियों के साथ लगातार बैठकों और अद्यतन स्तिथियों की जानकारियों जैसे कई गतिविधियों के परिणाम स्वरुप इनका मुद्दे के प्रति सोच बदला और आज एक बदलाव की बयार बह चली है जिसमे मुखिया और अन्य प्रबुद्ध लोग परिवर्तन लाने के लिए तत्पर हैं. बहुत जल्द मुखिया अपने जाति पंचायत में एक प्रस्ताव लाकर बाल विवाह उन्मूलन, दहेज़ विरोधी और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने हेतू एक प्रस्ताव लाने वाले हैं साथ ही अपने पंचायत को हर हाल में बाल विवाह और दहेज़ प्रथा रहित पंचायत बनाने की ठान चुके हैं.

Leave A Comment.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Get Involved.

Join the generation that is working to make the world equal and violence-free.
© 2024 Breakthrough Trust. All rights reserved.
Tax exemption unique registration number AAATB2957MF20214