रूढ़िवादी परम्पराएं और पितृसत्ता .

पितृसत्ता हमारे समाज की एक व्यवस्था है जिसमे पुरुषों को  प्राथमिकता दी जाती  है।  हमारे परिवारों मे पुरुषों को ही सभी कुछ समझा जाता है। परिवार में पिता या अन्य पुरुष, महिलाओं और बच्चों के ऊपर अपने अधिकार जमाते है। इस व्यवस्था में स्त्री तथा पुरुष को समाज द्वारा दिए गए कार्यो और नियमों के अनुसार चलना पड़ता है। ऐसे उदाहरण हमे दिन प्रतिदिन अपने आस पास और अपने ज़िन्दगी में देखने को भी मिलते है। हमारे समाज की बहुत सी रूढ़िवादी परम्पराएं पितृसत्ता को अधिक मजबूत बनाती हैं। सदियों से महिलाओं को पितृसत्ता के कारण  ही दंडित होना पड़ा है।

जब भी कोई हमारे समाज मे इस के खिलाफ जाने की  कोशिश करता है तभी उसे  समाज मे इसका दंड भी भुगतना पड़ता है। मैने भी कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की थी, जिसके कारण मुझे इसका दंड भी मिला।और मुझे उसे भोगना भी पडा।

दिसंबर 2015 मे मेरी शादी हुई। उसके बाद कुछ ही दिन हुऐ थे कि एक दिन मेरी पत्नी ने मुझसे पूछा कि क्या वह पापा के सामने  घूँघट खोल के जा सकती थीं ।मैने कहा कि ठीक है आप खोल लो। अगले दिन जब मेरी पत्नी मेरे पापा के सामने गयी तो उसने घूँघट नही किया। तभी  मेरे पापा ने उससे पूछा कि बेटा आपने आज  घूँघट क्यों नही किया। उन्होंने कहा की ये तो बड़ों का मान सम्मान होता है।

तब मैं भी वहा था। इस बात को लेकर मेरे पापा जी का मेरे साथ झगड़ा भी हुआ। जिसके कारण मुझे पापा से मार भी खानी पड़ी ।उसके बाद मैने घर छोड़ने  की बात की। मैं तीन दिन घर से बाहर रहा। उसके दो कारण रहे, पहला मैं अपने पापा के सामने  उलटा बोला और दूसरा उनकी बात का  मैने विरोध  किया।  उसके बाद जब मैं अपने घर आया, तो पापा ने कहा, “मरने दो इसे, ये  घर का नाश करवा के ही मानेगा”। तो मैने कहा, “आप  अगर घूँघट खुलवाते हो तो मैं यहा रहुंगा ,नही तो मैं घर छोड़  कर जा रहा हूं”। तब उन्होने मेरी बात मान ली।

एक बार और मुझे घूँघट को लेकर झगड़े का सामना करना पडा। एक दिन अचानक मेरे ताऊ के लड़के की बहु अथार्त मेरी भाभी मेरे घर आ गयी। तभी उसने देखा कि मेरी पत्नी ने मेरे पापा से घूँघट नही किया था ।तो उसने मेरी पत्नी से कहा की तुमने घूँघट क्यों नही किया है ,ये तो बड़ो का आदर होता  है। उसने बाद मैं मेरी माँ को भड़काया  की तेरी बहू तो  घूँघट भी ना करती और पूरे गाँव  मे ये बात फैल जाएगी की उनकी बहू तो घूंगट भी ना करती। सारे गाव मे इज़्ज़त और नाम भी  खराब हो जाएगा।तब फिर शाम को जब मैं अपने घर पहुंचा, तभी फिर झगड़ा हुआ। मैने सारे घर वालो से झगड़ा करके अपनी पत्नी का घूंगट अपने परिवार वालो से खुलवा दिया।

आज जब भी घूंगट की बात आती है तो मेरे घर मे मेरी  सबसे पहले बात होती है कि ये काम सबसे पहले उसने करवाया  था।अब मेरे तीन ताऊ के लड़कों की शादी हो चूकि है और उन्होने मेरे उदाहरण को ले अपनी पत्नियों के भी घूंगट खुलवा दिये हैं। मुझे  कई बार इस बात की भी बहुत खुशी होती है कि मेरे ऐसा करने से उनके जीवन मे भी बदलाव आया है।

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