झारखंड में एक बहुत ही खूबसूरत शहर है, जिसका नाम राँची है। इस शहर में हर धर्म के लोग रहते हैं। यहाँ एक हिन्दू परिवार रहता था। उस परिवार में एक भी ऐसा सदस्य नहीं था जिसने इंटर कॉस्ट विवाह किया हो क्योंकि वे इसके ख़िलाफ़ थे। दूसरी तरफ शर्मा जी का बेटा राहुल था, जो जाति धर्म में विश्वास नहीं रखता था। वह मानता था कि सभी लोग समान हैं। वह हमेशा कहता था कि सभी को अपनी जिंदगी जीने की पूरी आज़ादी है।
अपनी 12th क्लास की पढ़ाई पूरी करने के बाद राहुल उच्च शिक्षा के लिए उत्तर प्रदेश गया। वहाँ उसे एक अच्छे कॉलेज में दाख़िला मिल गया। धीरे-धीरे समय बीतता गया। एक बार कॉलेज के प्रिंसिपल ने एक कला प्रदर्शनी का आयोजन किया। सभी को हिस्सा लेना अनिवार्य था ताकि सभी विद्यार्थियों को कुछ नया सीखने को मिले। सभी लोगों ने इस प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस प्रदर्शनी में राहुल की पार्टनर एक लड़की थी जिसका नाम नाज़िया था।
नाज़िया उत्तर प्रदेश में ही एक मुस्लिम परिवार से थी। नाज़िया के परिवार के लोग कट्टर मुसलमान थे। कट्टर मुसलमान का मतलब बाकी धर्म के लोगों से कोई मतलब नहीं रखना। इसलिए उसके परिवार से आज तक कोई भी ऐसा नहीं था, जिसने इंटर कास्ट विवाह किया हो। उसके परिवार का मानना था कि अगर उनके परिवार का कोई सदस्य ग़ैर धर्म से रिश्ता रखता है तो, अल्लाह उनसे नाराज़ हो जायेंगे। उनका धर्म नष्ट हो जाएगा।
जब प्रदर्शनी में राहुल ने नाज़िया को देखा तो वह उससे दोस्ती करना चाहता था। उसने नाज़िया को सीधे जाकर प्रपोज़ कर दिया लेकिन नाज़िया नहीं मानी। उसके नहीं मानने के पीछे कारण यह नहीं था की वह राहुल को पसंद नहीं करती थी। वह राहुल को बहुत पसंद करती थी लेकिन परिवार और धर्म के कारण उसे मना कर दी। जब राहुल को ये बात पता चला तो वह उसे समझाया कि, ‘मुझे यह बताओ की जब तुम्हारा इस कॉलेज में दाख़िला हुआ था, तो यह देखकर हुआ था कि तुम हिन्दू हो या मुसलमान? अगर ऐसा होता तो शायद मेरा दाख़िला यहाँ नहीं होता”।
बहुत देर तक समझाने के बाद भी नाज़िया नहीं मानी, लेकिन राहुल हार नहीं माना। वह नाज़िया को बहुत दिनों तक समझाते रहा। अंत में नाज़िया को भी ये बात समझ आने लगी कि हमारे टीचर तो हमें धर्म के आधार पर पढ़ाने में भेद-भाव नहीं करते। वे ये नहीं देखते कि ये मुसलमान है और ये हिन्दू। वे सभी को एक समान पढ़ाते हैं, तो हम ये धर्म के जाल में क्यों फँसे हैं?
अंत में वो मान गई और राहुल की दोस्ती मंज़ूर कर ली। धीरे-धीरे वो दोस्ती प्यार में बदल गई। उन्हें लगने लगा कि उन्हें अब शादी कर लेनी चाहिए। लेकिन उन्हें पता था कि उनके परिवार उनके शादी के लिए कभी राज़ी नहीं होंगे। लेकिन उनकी इच्छा थी कि परिवार के रज़ा मंदी से ही उनकी शादी हो। इसलिए उन्होंने अपने रिश्ते के बारे में अपने परिवारवालों को सबकुछ बता दिया। ये सब बातें जानकर उनके घर में मातम सा छा गया।
दोनो परिवार ने इस रिश्ते का विरोध किया। नाज़िया के परिवार वालों ने तो उसपर हाथ भी उठा दिया। इस रिश्ते के बारे में वे सपने में भी नहीं सोच सकते थे। परिवारवालों ने बहुत विरोध किया, लेकिन नाज़िया और राहुल ने कोई भी कमी नहीं छोड़ी अपने परिवारवालों को समझाने में। अंत में उन दोनों के परिवार वाले मान गए। वे समझ गए कि दोनों एक दूसरे के साथ ही खुश रह पाएंगे। लेकिन उनके मन में अभी भी एक डर था कि समाज को कैसे समझाएं? उस समाज को जिसे किसी ने आज तक देखा भी नहीं है और जिसे आपसे कोई मतलब भी नहीं है। उस समाज को जो आपके भूखे रहने पर आपको एक निवाला तक नहीं पूछता, भले ही आप भूख से मर क्यों न रहे हो।
जब उनके परिवारवालों के आँख से धर्म की पट्टी हटी तो उन्हें अपने सोच पर गलानि होने लगी। नाज़िया के अब्बा तो बोल पड़े कि, ‘हम आज तक कौन से जमाने में जी रहे थे।’ उन्हें बहुत ही अफ़सोस हुआ। इसके बाद उन दोनों के परिवारों ने धर्म के विरुद्ध जाकर दोनों की शादी कराई। वे समाज को बताना चाहते थे कि अगर कोई लड़का या लड़की, ग़ैर धर्म के लड़का या लड़की से मोहब्बत करते हैं तो वो कोई गुनाह नहीं कर रहे हैं। हमारा भारतीय संविधान सभी को समानता का अधिकार देता है।
शादी तो हो गई थी लेकिन कहानी अभी ख़त्म नहीं हुई थी। जब लोगों को ये बात पता चला तो उन्हें अपना धर्म ख़तरे में दिखने लगा। इसलिए उन्होंने इसका जमकर विरोध किया और नारेबाज़ी करने लगे कि, “इन दोनों को अलग करो नहीं तो हम इन दोनों को ज़िंदा नहीं रहने देंगे”। काफ़ी दिनों तक नारेबाज़ी चली लेकिन राहुल और नाज़िया को इससे कोई भी फ़र्क नहीं पड़ा। तब लोगों ने उन्हें डराने के लिए उनके घर में तेज़ाब से भरी बोतलें फेंकी।
इस तरह की घटनाओं ने राहुल और नाज़िया को रातों-रात मशहूर कर दिया। अब इनके शादी पर कुछ नेताओं ने वो किया जो उनके खून में है – राजनीति। कुछ नेता जो किसी के मरने पर भी राजनीति करने पर बाज़ नहीं आते। ये तो उनके लिए बहुत बड़ी बात थी। राहुल और नाज़िया के शादी पर बहुत विरोध हुआ लेकिन राहुल और नाज़िया अपने हक के लिए लड़ते रहे। अंत में जीत राहुल और नाज़िया की हुई। किसी ने सच ही कहा है – ”जीत हमेशा सच्चाई की होती है”। पता नहीं किसने कहा है, पर क्या खूब कहा है।
Note: 2018 में ब्रेकथ्रू ने हज़ारीबाग और लखनऊ में सोशल मीडिया स्किल्स पर वर्कशॉप्स आयोजित किये थे। इन वर्कशॉप्स में एक वर्कशॉप ब्लॉग लेखन पर केंद्रित था। यह ब्लॉग पोस्ट इस वर्कशॉप का परिणाम है।