आंखों में आँसू, चेहरे पर अपनी बेटी को लेकर गर्व और खुशी के मारे लड़खड़ाती आवाज़ में कहना – मेरी बेटियाँ मेरी ताकत हैं। यह लगभग हर रोज़ की बात हो गई थी जब माता पिता को अपनी बेटियों पर नाज़ करने का अवसर मिला।
ये मौका दिया ब्रेकथ्रू के किशोरी मेले ने, लखनऊ, गोरखपुर, महाराजगंज, सिद्दार्थनगर, ग़ाज़ीपुर, जौनपुर और वाराणसी में, किशोर-किशोरी सशक्तिकरण कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित इस मेले में। इन सात में से पांच डिस्ट्रिक्ट में ब्रेकथ्रू ने यह मेले पार्टनर संस्थाओं के मदद से आयोजित किये। स्कूलों में किशोर-किशोरियों के साथ शिक्षा के मुद्दे पर चर्चा की गई। सितंबर में शुरू हुए इस किशोरी मेले के माध्यम से बच्चों को जहां अपनी बात कहने का मंच मिला वहीं उनके अभिभावकों को भी अपने बच्चों को जानने और समझने का अवसर मिला।
थैंक यू कार्ड पर निकले आँसू
आम तौर पर हम देखते हैं की पीढ़ियों के बीच संवाद नही हो पाता है। बच्चों और माता-पिता के बीच इस संवाद को शुरू करने के लिए बच्चों से कहा गया कि वो अपने माता-पिता को उनको पढ़ाने और जीवन का अवसर देने लिए थैंक यू कार्ड बनाएँ और किशोरी मेले में उनको दें।
लखनऊ के सरैया जूनियर हाईस्कूल में आयोजित मेले में मानसी ने जब अपनी माँ को थैंक यू कार्ड दिया तो उनके गले से खुशी के मारे शब्द नही निकल पा रहे थे। कांपती आवाज़ में उन्होंने कहा कि ‘मेरी तीन बेटियाँ हैं और उन्हें अपनी बेटियों पर बहुत गर्व है। पिता नही होने की वजह से मेरी बेटियों ने बहुत दुख देखा है, लेकिन मेरी बेटियाँ हमेशा मेरी ताकत रही हैं। हम ब्रेकथ्रू को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने मुझे अपनी बेटी पर सबके सामने नाज़ करने का मौका दिया।‘
[metaslider id=8076]
कोरे कागज़ पर उतरा बच्चों के हुनर का जादू
इस मेले में शिक्षा के महत्व के विषय पर कला प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया जिसमें बच्चों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।अभिनव विद्यालय, मोहनलालगंज, लखनऊ की टीचर राजेश्वरी जी के शब्दों से इसे बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। उन्होंने कहा, “ये बच्चे इतने क्रियेटिव हैं, हम जानते ही नही थे। आप के किशोरी मेले से हम अपने बच्चों की क्षमता को बेहतर तरीके से समझ पाए हैं। आप को शुक्रिया। अब हम अपने बच्चों को इस तरह के और अवसर देंगे जिससे उनकी कला और निखर पाए।”
बाल-विवाह पर बच्चों ने शुरू की चर्चा
नेपाल की सीमा से सटे नौतनवां का एक गांव है हल्दी डाली जहां बाल-विवाह की दर अधिक है और वहां इसको लेकर एक सामाजिक मान्यता सी है इसलिए आमतौर पर इस पर चर्चा नही होती है। लेकिन किशोरी मेले के दौरान पूर्व माध्यमिक विद्यालय, हल्दी डाली के बच्चों ने इस मुद्दे पर खुद ही एक नाटक तैयार किया और इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की। उनका कहना था कि हमारे पास कोई स्पेस ही नही था इस मुद्दे पर बात करने के लिए। इस नाटक का नतीजा यह हुआ कि टीचर से लेकर अभिभावक तक, सब इस मुद्दे पर चर्चा करने लगे ।
इस मेले के कई रंग और भी हैं जिनको आगे देंखेगें। उत्तर प्रदेश के सात डिस्ट्रिक्स में कई और ऐसे मेले होंगे। मिलते हैं बहुत ही जल्द और जानकारी के साथ अगले लेख में।