अब चंदा ‘एडजस्ट’ नहीं करेगी।.

आठ साल बीत गए चंदा को घुट घुट के जीते हुए। आठ साल का इंतज़ार किया फ़िर से चंदा को ऐसा मुस्कुराता देखने के लिए। आज चंदा, इमरान मियाँ के साथ खुले आसमान में मानो आज़ाद परिंदे की तरह उड़ रही है। अब आप सोच रहे होंगे की ये चंदा कौन है ?

कहानी की शुरुआत एक असफल शादी से होती है। चंदा के माँ-बाप उसकी शादी अपनी बिरादरी के एक अच्छे-ख़ासे घर में कराते हैं। मगर उनके होने वाले दामाद की हरकतों से वे वाक़िफ़ ना थे।

हर एक लड़की शादी के ढेरों सपने देखती है कि उसका पति ऐसा हो-वैसा हो। मगर चंदा, उसकी ये सारी ख़्वाहिश मानो अब रौंद दी गयी हो। घरेलू हिंसा की शिकार, रोज़ाना कई यातनाओं से गुज़रती मानो चंदा आसमान के बादलों में अपना वजूद खो रही हो। एक मुस्कुराती और हँसते खेलते चेहरे वाली लड़की जैसे अब किसी पहाड़ के तले दबती चली जा रही थी।

जब उसने ये बात अपने मायके वालों को बताई तो उन्होंने एडजस्ट करने की सलाह दी। कई हद तक चंदा ने कोशिश भी की मगर उसके पति परम की हैवानियत कम होने से रही। कभी दहेज़ के लिए प्रताड़ित की जाती तो कभी उसके भ्रूण जाँच करा लड़की होने पर उसका गर्भपात करा दिया जाता। हर रोज़ ना चाहते हुए भी चंदा उन बिस्तर की सिलवटों को कस के पकड़ती और सब कुछ सहती रही।

एक दिन वो वीमेन कॉरपोरेशन संस्था से मिली। उसे अपनी ज़िंदगी ख़ुद से जीने का एहसास हुआ। चंदा ने अपने पति परम के ख़िलाफ़ केस फ़ाइल किया। उसे ना अपने परिवार का साथ मिला ना समाज का। सारे वक़ील भी केस पर यही कहते – “मैडम पाँच साल से सह रही हो और सह लो”। नहीं, चंदा अब अपने वजूद को ढूंढने चली थी,अब कैसे वो भला एडजस्ट करती। उसके जीवन का अमावस खत्म होने को था। मानो पूर्णिमा की रात आने को थी।

एक दिन उसकी मुलाक़ात इमरान मियाँ से हुई जो एक वकील थे। उन्होंने चंदा की कहानी सुनी, उसके दर्द को समझा। वीमेन कॉरपोरेशन की अन्य महिलाओं ने चंदा का साथ दिया। ये लोग आफ़ताब बन चंदा को ख़ुद का नूर दिलाना चाह रहे थे।

दो साल की जद्दोजहद के बाद चंदा को इंसाफ मिला। इसके दरम्यान इमरान मियाँ हर वो चीज़ करते जिससे चंदा मुस्कुराती। ना जाने कब इमरान मियाँ की ये कोशिश मोहब्बत में तब्दील हो गयी और जिस दिन उन्होंने चंदा का केस जीता, अपने दिल की बात उन्होंने चंदा से कह दी।

अब चंदा आरती की लौ नहीं, क्रोध की मशाल थी,  

अब वो चूड़ियों की ख़नक नहीं, तलवार की धार थी,

उसकी आँखों में काजल नहीं, इंतक़ाम की आग थी।  

 

उठा चुनर, ध्वज बना लिया था उसने अब,

जो फ़िर चुनर गिरी, तो शर्मसार जहान था,

जो उसमें लिपटी बेड़ियाँ थी,

ना समझा उसने वस्त्र उसे,

वस्त्र अब शस्त्र है,

देखकर इतराई  वो।

 

ना है आवाज़ विवश उसकी,

सिसकियाँ तब्दील है शेरनी की दहाड़ में,

गुहार अब ललकार है, कमज़ोर अब शक्तिमान है।

वो उड़ चली है,

फ़लक़ तक, गगन को।  

फ़िर उसकी तलाश है,

किसी पापी को हक़ नहीं ले परीक्षा उसकी,

जला के भस्म किया उसने जो, क्रूरता का जाल है।  

 

आपको क्या लगता है अब हैप्पी एंडिंग होगी? नहीं जी, ये इश्क़ नहीं हैं आसान, इतना समझ लीजिये। आग का दरिया है, डूब के जाना है।

सोचिये इस नई लव स्टोरी का विलन कौन होगा? सोचिये, सोचिये।

जहाँ पत्नी के मरने के बाद हम ये अपेक्षा करते है कि मर्द दूसरी शादी कर ले, औरत अगर दूसरी शादी करती है तो लोग कहते हैं – इसे तो पति के जाने का दुःख ही नहीं। ख़ैर मरना तो दूर की बात है, यहाँ तो चंदा का पति इंसान के भेस में हैवान था, फिर भी उसे दूसरी शादी के लिए इतना सोचना पड़ रहा था।

वही समाज, वही माँ-बाप, जिन्होंने एक आवाज़ ना निकाली चंदा की ज़ख्म देखकर, परम जैसे हैवान से शादी कराते वक़्त; वही लोग आज इमरान मियाँ से चंदा की शादी होने पर इतने सवाल क्यूँ उठा रहें थे? क्योंकि वो मुस्लिम है? मुस्लिम के परिवार में हिन्दू लड़की कैसे रहेगी? उनका समाज हिन्दू लड़की को कैसे अपनायेगा? मुस्लिम है वो, तो हिन्दू लड़की से निकाह कर उसे प्रताड़ित करेगा?

अरे बंधु अब तो आँखे खोलो!

चंदा की शादी उसकी बिरादरी में शादी करा कर कौन सी ख़ुशी दे दी समाज ने चंदा को? चंदा एक बात से तो वाक़िफ़ हो गयी थी कि लोगों का काम है कहना। अब उसने इस समाज की एक ना सुनी, जिसकी वजह से उसे आठ साल लगे एक असफल शादी से निकलने के लिए।   

अब चंदा, इमरान मियाँ को अपना आफ़ताब मानने लगी। अब माज़ी को भूल, किया इब्तिदा अपने नए मुस्तक़बिल का। चेहरे पर तबस्सुम लिए परम की पुरानी कड़वी यादें भुला उसने एक नया जहान बनाने की शुरुआत की। आज चंदा और इमरान खुली आसमान के नीचे बैठ अपने सफ़र को देख मुस्कुरा रहे हैं। चंदा फ़िर से फ़लक़ की उड़ान इमरान मियाँ के साथ भरने को है।

दिन के शौकीन होंगे कई पर चंदा तो चाँदनी की चाहने वाली थी .. भला जिसका नाम ही चंदा हो, उसे किस रोशनी की तलब होगी ?

Note: 2018 में ब्रेकथ्रू ने हज़ारीबाग और लखनऊ में सोशल मीडिया स्किल्स पर वर्कशॉप्स आयोजित किये थे। इन वर्कशॉप्स में एक वर्कशॉप ब्लॉग लेखन पर केंद्रित था। यह ब्लॉग पोस्ट इस वर्कशॉप का परिणाम है।

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