देसां में देस हरियाणा जित दूध दही का खाना ।
उपरोक्त पंक्तियाँ हरियाणा की समॄदि व सम्पन्नता की घोतक हैं लेकिन इस समॄद्ध व संपन्नता से पूर्ण राज्य हरियाणा में अनेक कुरीतियां भी मौजूद हैं जिसके दुष्परिणाम अभी से नजर आने लगे है। लिंग जाँच व लिंग चयन इनमें से ही एक अत्यंत जघन्य बूराई है जिसके कारण लिगांनुपात में असंतुलन पैदा हो गया है और हरियाणा में लड़कियों की संख्या में कमी आई है।
हरियाणा राज्य में इसी बिगड़ते लिंगानुपात के कारण आज बड़ी भारी संख्या में विवाह के लिए लड़किया बिहार, असम, मध्यप्रदेश, झारखंड, पशिचम बंगाल आदि राज्यों से खरीदकर लाई जाती है पर अब सवाल यह उठता है कि दूसरे राज्यों से जो लड़कियाँ खरीदकर लाई जाती है उन्हें पूरा सम्मान व ओहदा मिलता है जिसकी वो हकदार है, नहीं कदापि नहीं।
ये खरीद कर लाई गयी लड़कियां केवल मात्र छाप होती है ताकि लड़के को कोई अविवाहित ना कहे और रूढ़िवादी परिवारों को अपना वंश चलाने के लिए संतान की प्राप्ति हो जाए।
खरीदकर लाई जाने वाली कुछ लड़कियाँ तो विवाह के कुछ साल बाद ही वापिस जाने पर विवश हो जाती है और बाकी इस रूढ़िवादी समाज में अपना अस्तित्व बनाने के लिए ताउम्र संघर्ष करती रहती है। इन लड़कियों की परिवार में एक घरेलू नौकरानी से भी बदतर हैसियत होती है ये लड़कियां ताउम्र बंधुआ मजदूर बन कर रह जाती है।
बाहर से लाई गई लड़कियों को हमेशा वासना भरी नजरों से देखा जाता है। पुरूष इन लड़कियों को बच्चा पैदा करने की मशीन तथा अपने शरीर की भुख मिटाने की वस्तु समझता है। पुरूष प्रधान समाज के लिए ये लडकियाँ ना तो किसी की पुत्रवधु, ना ही किसी की पत्नी और ना ही किसी की भाभी, बल्कि पुरूष तो इनको अपने भोगविलास की वस्तु मानता है तथा अपने शरीर की भुख मिटाता है। यहाँ तक की घर में ही इन महिलाओं के साथ सामुहिक बलात्कार किया जाता है।
विडंबना तो ये है कि ये लडकियाँ अपना दुखदर्द कहे तो किससे ? ना तो इनके पास इनके माता-पिता और ना ही कोई सगा सम्बन्धी होता है।
देखने में तो यह भी आया है कि विरोध करने पर इनके ही पति इन्हें रूपयों के लोभ में किसी दूसरे को बेच देते है।
इन लड़कियों की स्थिति घर में रखे किसी सामान की तरह होती है जिसे जरूरत पडने पर इस्तेमाल कर लिया जाए और नहीं तो बाजार में बेच दिया जाए।
वास्तव में जिस प्रकार रीतिकालीन समाज में नारी को केवल मात्र भोग की वस्तु समझा जाता था वैसी ही स्थिति आज हरियाणा में आज भी महिलाओं की है। आज हमारा यह हरियाणा प्रदेश यह भूल गया है कि:
नारी का सम्मान, देश का सम्मान
नारी का उत्थान, देश का उत्थान
बल्कि हरियाणा का पुरूष कहता है
मै मर्द हूं, तुम औरत
मै भूखा हूं, तुम भोजन