एक तरफ लैंगिक समानता का सपना और दूसरी तरफ महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध.

चेतावनी: इस ब्लॉग पोस्ट में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा के मामलों का विवरण है। 

नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो रिपोर्ट (2016) ने हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते यौनिक अपराधों को लेकर चिंता ज़ाहिर की थी। यह रिपोर्ट हरियाणा में बिगड़ते हुए हालात की चेतावनी दे रहा था, लेकिन ये रिपोर्ट एक कागज़ के टुकड़ों की तरह फ़ाइल में दब कर रहा है और हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ यौनिक हिंसा बढ़ते ही चले जा रहे हैं। साल 2018 में कदम रखते ही ऐसी हालात हो गयी है, मानो हम जंगल में रह रहे हो, जहाँ कोई कानून व्यवस्था से नही डरता। एक के बाद एक घटनाक्रम ने सभी के मन को दहला दिया है ।

साल 2018 के केवल जनवरी माह की बात करे तो 7 दिन में हरियाणा के अलग अलग ज़िलों में रेप,गैंग रेप, बर्बरतापूर्ण हत्या के मामले सामने आए हैं। इन सभी घटनाक्रमों में ज्यादातर मामले ऐसे है जिनमे 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ अपराध किया गया है।

कुरुक्षेत्र से 15 साल की दलित लड़की को किडनैप किया गया और जींद में उसके साथ गैंगरेप किया, फिर उसकी हत्या और हत्या के बाद भी उसके शरीर में कई तरह की चीजें घुसाई गई। इस घटना के बाद बहुत से दलित संगठनों व अन्य संघटनों ने अपना रोष प्रदर्शन किया और न्याय के लिए गुहार लगाई। इस घटना से लोग दो-चार हो ही रहे थे कि अचानक फ़रीदाबाद, पानीपत, हिसार और पिंजौर में हुई अलग अलग रेप की घटनाओं ने महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठा दिए। जहाँ एक तरफ़ फ़रीदाबाद में एक युवती को आरोपियों ने ज़बरदस्ती कार में बिठाया और फिर आरोपियों ने बारी बारी से युवती के साथ रेप किया, वहीं दूसरी तरफ़ पंचकूला के पिंजौर शहर में 10 साल की बच्ची के साथ 50 साल के आरोपी ने बच्ची के शरीर के प्राइवेट पार्ट में डंडा डालकर उसे बुरी तरह घायल कर दिया औऱ बच्ची के साथ रेप किया।

एक तरफ़ तो हम सतत विकास के लक्ष्यों में लैंगिक समानता का सपना देख रहे हैं, वही दूसरी तरफ़ इन घटनाओं ने लैगिंक भेदभाव की लंबी चौड़ी खाई की सच्ची तस्वीरों पर रौशनी डाली है। इस घटनाक्रम में पानीपत के एक गांव में 12 साल की बच्ची के साथ दो पड़ोसियों ने गैंग रेप किया उसके बाद भी यहाँ हैवानियत खत्म नही हुई। बल्कि इंसानियत को ही झकझोर कर दिया गया। बच्ची के साथ गैंग रेप फिर हत्या और हत्या करने के बाद भी घण्टो रेप किया गया। इन घटनाओं में एक और घटना हिसार ज़िले से जुड़ गई जहाँ 3 साल की बच्ची के साथ एक किशोर आरोपी ने रेप किया।

जब जब हमारे समाज में ऐसी घटनाएँ घटी हैं तो इनका विरोध करने के लिए व इन्हें रोकने के लिए प्रगतिशील व्यक्तियों ने, सवेदनशील लोगों ने व सामाजिक संस्थाओं और कार्यकर्ताओं ने रोष प्रदर्शन, मानव शृंखला, मौन जुलूस व नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से जगह जगह पर इस विकृत मानसिकता का विरोध किया है। अभी जनवरी के माह में जब दिल को दहला देनी वाली घटनाएँ हरियाणा के अलग अलग ज़िलों में घटी तो उनके विरोध में फिर से ये सभी जन संगठन,संस्थाएं, प्रगतिशील व्यक्ति व संवेदनशील लोग सड़कों पर आ गए। इन सभी ने अलग अलग जगहों पर रोष प्रदर्शन, रोष रैली,मौन जुलूस, मानव शृंखला व नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से बढ़ते रेप कल्चर पर बातचीत की जिसमें सभी ने अपना अपना नज़रिया पेश किया।

किसी का मानना है कि आज रोज़गार का संकट खड़ा हो गया है जिसके कारण आज का युवा तनाव ग्रस्त है और अपने आप को अकेला महसूस करता है जिसके कारण वह रेप जैसे गलत कदम उठा रहा है। वह अपने तनाव को कम करने के लिए रेप को एक साधन के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। वहीं किसी का मानना है कि बाज़ार, महिला को एक वस्तु की तरह पेश कर रहा है। बाज़ार ने बुरी तरह से मनुष्य की सोच पर कब्ज़ा कर लिया है। जितने भी प्रोडक्ट बेचे जाते हैं उन सभी को बेचने व ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए महिलाओं को इस्तेमाल किया जा रहा है जिसके कारण महिलाओं को इंसान की तरह पेश ना करके एक वस्तु की तरह देखा जा रहा है। यह सब रेप कलचर को और मज़बूत करते हैं।

वहीं कुछ का संयुक्त रूप से मानना है कि आज जिस तरह के गीत, फ़िल्म इत्यादि तैयार किए जा रहे हैं, उनसे भी विकृत मानसिकता का निर्माण हुआ है। गीतों व फिल्मों के माध्यम से यौनिक हिंसा को बढ़ावा मिला है। जब तक महिला को उपभोग की वस्तु की तरह देखा जाएगा तब तक रेप रूकने मुश्किल ही नहीं असंभव हैं। इसलिए हमें ज़रुरत है कि एक ऐसी संस्कृति का निर्माण करें जो महिला व पुरूष दोनों को बराबरी का दर्जा दे व इंसान समझे।

कुछ लोगों का यह भी मानना है कि बढ़ते रेप कल्चर की यदि तह तक जाएं तो हम पाएंगे कि इसका मूल कारण पितृसत्तात्मक समाज है। इस समाज ने  बिना किसी तर्क के यह मान लिया गया है कि महिला, पुरूषों से कमजोर होती है और महिलाओं का काम सिर्फ बच्चे पैदा करना व घर संभालना है। महिला को कमजोर मानने के कारण ही उसके जन्म से ही भेदभाव शुरू हो जाते हैं। वही अगर कुछ महिलाएं अपनी बराबरी का अहसास दिलाने की कोशिश भी करती है तो उनके साथ गैंग रेप तक किए जाते हैं। ऐसे हमारे सामने अनेको उदाहरण हैं जिनसे हम सभी वाक़िफ़ है। महिलाओं के साथ लगातार बढ़ती यौनिक हिंसा का सबसे बड़ा कारण विकृत मानसिकता है। हमे ऐसी मानसिकता को ही बदलने की आवश्यकता है।

बढ़ते रेप कल्चर और महिलाओं के साथ बढ़ती यौनिक हिंसा को रोकने के लिए सभी अपने अपने मुताबिक उसका विरोध करते हैं। लेकिन अब सभी को साथ मिलकर ऐसी विकृत मानसिकता का विरोध करने की जरूरत है। वही पितृसत्तात्मक सोच, विकृत मानसिकता और लिंग आधारित हो रहे भेदभाव को खत्म करने की जरूरत है। जब महिला व पुरूष को बराबर समझने लगेंगे और बराबरी के हक मिलेंगे तभी महिलाओं के साथ बढ़ती इन यौनिक हिंसा को हम जड़ से मिटा सकेंगे। अब अपने बेटों को शेर की तरह और बेटियों को गाय की तरह पालने की नही, बल्कि उन्हे एक इंसान की तरह पालने की आवश्यकता है।

Note: This blog post has been written by Roki Kumar, Meena Rani and Sandeep Kumar from Breakthrough’s Haryana team. 

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