लॉकडाउन के दौरान महिलाओं और किशोरियों के लिए चुनौतियाँ.

यह आवाज़ उन सैंकड़ो किशोरियों की है जो आज कोरोना के कारण लॉकडाउन जैसे समस्या से जूझ रही हैं। बिहार के गया जिले के 4 प्रखंड में ब्रेकथ्रू काम कर रहा है। बिहार में हम लोग शिक्षा औ स्वास्थ्य को लेकर काम कर रहे हैं। आज हम उन्हीं मुद्दों के बारे में बात करने वाले हैं जिसकी स्थिति पहले से ही जड़-जड़ है। 

आज हम देख सकते हैं कि बिहार सरकार की बहुत सारी स्वास्थ्य को लेकर स्कीम हैं, लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा आज भी गांव में बस्ते हैं। जहाँ पर स्वास्थ्य को लेकर जानकारी अभाव है और अगर किशोरियों और महिलाओं के निजी स्वास्थ्य को लेकर बात करें तो उस पर आज भी चुप्पी है, शर्म की बात मानी जाती हैं। आज हम ऐसी ही स्थिति से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं।

आज जैसा कि हम सबको पता है, पूरा विश्व कोरोना जैसे संकट का सामना कर रहा है, पूरा देश लॉकडाउन में है। हम सब अपने-अपने घरों में बंद हैं। आज लोग कोरोना नाम से ही डर रहे हैं, ऐसे में उनके स्वास्थ्य को लेकर कुछ लड़कियों के साथ हमने बात-चीत की। इस बात-चीत में लड़कियों ने बताया – किस तरह उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है: 

मौसम बदलने की वजह से हम बीमार पड़ रहे हैं। गांव में  स्वास्थ्य को लेकर कोई सुविधा पहले से ही नहीं थी और अभी की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। गांव में एक लोकल डॉक्टर जिनके पास थोड़ी बहुत जानकारी होती है, उनसे हाल पर दवा लेकर खा लेते हैं। पर अभी वो भी सुविधा नहीं मिल रहा है। हम या हमारे घर वाले जैसे ही उनके पास दवा लाने जाते हैं, वो हमे या परिवार वाले को देखकर खुद को अपने घरों में बंद कर लेते हैं, और अंदर से आवाज़ देते हुए कहते हैं, आप कृपया यहाँ से चले जाएं, शायद आप के घर वालो को कोरोना हुआ है। ये जानने की भी कोशिश नहीं करते हैं की आने की वजह क्या है। जिनके लिए दवा लेना है या कोई सलाह लेना है, किस वजह से बुखार, पेट दर्द, आदि हो रहा है। एक तो वैसे ही मेन मार्किट हमारे घर से 35-40 किलोमीटर है और पहले भी साधन के नाम पर 2 ही ऑटो चलता था। अभी लॉकडाउन की वजह से हम मार्किट नहीं जो रहे, मार्किट सब बंद हैं।

हम अपनी अगर निजी स्वास्थ्य को लेकर बात करे तो अभी माहवारी के समय हमे पैड की सुविधा भी नहीं मिल रही है। हम घर में जो कपड़े हैं उनका पैड बना कर इस्तेमाल कर रहे हैं। पर इससे हमे बहुत परेशानी हो रही है। एक तो पूरी तरह से सूती कपड़ा नहीं है, दूसरे कपड़ों में दाग लगने की समस्या, बहुत असहज महसूस कर रहे हैं। घर में भाई-पापा, चाचा सब लोग हैं। अगर किसी ने देख लिया तो क्या होगा?  इस तरह की समस्या का सामना करना पड़  रहा है। इतना ही नहीं जहाँ आज पूरा देश का ध्यान साफ-सफाई पर केंद्रित है वहां पर ऐसे कई ज़रूरत का सामान दुकानों में खत्म हो गया है, सर्फ़ साबुन जैसी चीज़ महत्वपूर्ण सामग्री रेट से महँगा बेच रहे हैं। और हमारी मज़बूरी हैं की हमे लेना पड़ रहा हैं।

इन मुद्दों को और समझने के लिए हमने किशोरियों और महिलाओं से और बात किया तो हमें और बातो का पता चला जिसमे एक महत्वपूर्ण हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं की बिहार में शराब पीने और बेचने पर रोक लगा है।  लेकिन ये बात भी सच है की शराब की बिक्री और पीना कभी बंद नहीं हुआ था। बस लोग कम मात्रा में लेते थे।  इसकी वजह ये थे की जो 20 रुपये में मिलती थी वो उन्हें 150 रूपए में मिलने लगी थी। आज कल कोरोना को लेकर कई सारी अफ़वाए भी फ़ैल रही हैं। आज हम इन्हीं अफवाओं में से एक अफवा के बारे में चर्चा करेंगे। इसको मीडिया ने काफी प्रोमोट भी किया है। मीडिया के कथन अनुसार शराब पीने से कोरोना नही होगा और आप इस महामारी से बचे रहेंगे। अब घर में जो पुरुष साथी हैं वो दिन ढलते ही आस-पास के और २-४ पुरुषों के साथ मिलकर शराब का सेवन करते हैं। और ये रोज़ की कहानी है। अब आप समझ सकते हैं की वैसे ही लॉकडाउन में रोज़ कमाने वाले लोगो की कमाई नहीं हो रही है, रोज़ के कई सारे खर्च हैं, जो रुक नहीं सकते ऊपर से शराब के लिए खर्च, ये सब को देखा जाये तो बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। 

जब हमने किशोरियों और महिलाओं से और बात करने की कोशिश किया तो पहले-पहले वो हमेशा ये बोलकर चुप हो जाती की सब ठीक है। पर अब जैसे-जैसे और बात करने लगे हैं, वो बताती हैं कि हमे रोज़ दिन कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किशोरियां और महिलाएं आज भी हिंसा जैसे शब्द नहीं बोल रही हैं, लेकिन परेशानियों जैसे शब्दों से झलक मिल रही है। इसी को देखते हुए हमने महिलाओं और किशोरियों से बात किया की अभी जो समस्या हो रही हैं, इसमें क्या करना चाहिए, आपके अगर कोई सुझाव हैं तो आप हमारे साथ साझा कर सकते हैं। उनकी तरफ से यह सुझाव आए: 

  • आंगनवाड़ी केंद्र में जो आयरन की गोली और टी टी का इंजेक्शन मिलता था वो हमे मिलना चाहिए।  
  • अभी पता है की पूरे देश में लॉकडाउन है, पर हमारे निजी स्वास्थ्य यानि माहवारी के दौरान, क्या सरकार पैड का वितरण नहीं करा सकती है? या गांव में कम कीमत में गांव के लोकल मार्किट में प्रोवाइड करवा दिया जाये।  
  • मौसम में अचानक बदलाव कारण बारिश और ओला आसमान से गिरा जिससे की सारे फसल नष्ट हो गए, थोड़ा- बहुत बचा है, पर इसको ज़्यादा नहीं चला सकते हैं। स्कूल या आंगनवाड़ी केंद्र से वक़्त का भोजन मिल जाता था, अभी वो भी बंद है। क्या वैसे ही भोजन की व्यवस्था नहीं हो सकती है? 
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1 thought on “लॉकडाउन के दौरान महिलाओं और किशोरियों के लिए चुनौतियाँ

  1. Good initiative and its need for that mostly effected women and adolescent girls for there also health and hygiene. Its good initiative breakthrough

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