“भैया, भैया, लव जिहाद, भैया सुन रहे हो”, मुझे ज़ोर से ये आवाज़े सुनाई पड़ी। मैं अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने अपने गांव से दिल्ली चला आया था और ये मेरे छोटे भाई धीरज की आवाज़ थी। वह अभी कुछ दिनों पहले मेरे साथ रहने को आया था। वो अक्सर न्यूज़ चैनल लगा देता और फ़िर मुझे न्यूज़ बताता।
उसकी इस आदत की वज़ह से ही मुझे मकान मालिक शर्मा जी से T.V. कुछ दिनों के लिए उधार मांगनी पड़ी थी। वह मुझे बार-बार आवाज़ दिए जा रहा था। भैया, सुनो ना बहुत ही महत्वपूर्ण समाचार आ रहा है। अपने गांव की है। उसके इन बातों को सुनकर मैं तुरंत उसके पास सोफे पर बैठ गया। तभी T.V. स्क्रीन पर एक तस्वीर आ रही थी। एक लड़के और एक लड़की की एक साथ खींची गयी तस्वीर थी और नीचे लिखा था, लव -जिहाद का परिणाम।
जो तस्वीर थी, उसमें दोनों काफ़ी ख़ुश नज़र आ रहे थे। मुझे यह तस्वीर कुछ जानी-पहचानी लग रही थी। कुछ देर के बाद मुझे याद आया कि यह तो मेरे साथ दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले रिज़वान और गीता की तस्वीर है। तस्वीर पुरानी और धुँधली नज़र आने के बावज़ूद, मैं इन्हें पहचान गया। और पहचानता भी क्यूँ नहीं? आख़िर यह तस्वीर मैंने ही तो खींची थी। कैसे भुला सकता हूँ मैं उस दिन को – जब मैं ,रिज़वान और गीता क्लास ख़तम होने वाले आख़री दिन पर पार्क घूमने गए थे।
वैसे तो हम तीनों एक ही गांव में रहते थे, लेकिन कहते हैं ना स्कूल की जिंदगी कुछ अलग होती है। उन दोनों के बहुत मनाने के बाद मैं पार्क जाने को तैयार हुआ था। कैसे भूल सकता हूँ, उस दिन को कितने ख़ुश थे हम तीनों पार्क जाकर। और हाँ हम लोग ने घर देर से पहुँचने पर माँ से मार भी तो खाया था।
न्यूज़ पर लिखे उन शब्दों और तस्वीरों को देखकर कुछ समझ नहीं आ रहा था। क्या था ये लव जिहाद? मैं रिज़वान को अच्छे से जानता था, वो कभी भी इन चक्करों में नहीं पड़ सकता था। फ़िर भी ना जाने टी.वी. पर ख़बरें लगातार दिखाई जा रही थी। कुछ न्यूज़ चैनल तो ये पक्के दावे के साथ दिखा रहे थे कि रिज़वान लव जिहाद के लिए गीता का ग़लत तरीक़े से प्रयोग कर रहा था और उसने गीता का धर्म परिवर्तन भी कराया था।
मैं इन न्यूज़ चैनल की बातों को सही कैसे मान सकता था। मैं रिज़वान को अच्छे से जानता था। वे दोनों एक-दूसरे के अच्छे दोस्त थे। इसमें बुराई ही क्या थी? क्योंकि मैं भी रिज़वान की तरह गीता का अच्छा दोस्त था। और यहाँ दिल्ली में भी कई लड़कियाँ, मेरी अच्छी दोस्त हैं। पर जो भी हो इस न्यूज़ को सुनकर मैं एकदम से सन्न रह गया था। तभी मेरा भाई बोला, भैया ये तो आपके साथ पढ़ने वाला रिज़वान है ना। मैं बस अपना सर हिलाया और अपने कमरे की ओर चल दिया। जाते हुए मेरी आँखों के आगे बस उसकी ही तस्वीर और साथ बिताए हर लम्हे की यादें।
तभी मोबाइल की घंटी बजी, कॉल उठाने पर एक जानी-पहचानी आवाज़ में “हेलो प्रवीण” सुनाई पड़ा। यह गोपाल था जो हमारे साथ ही दसवीं कक्षा में पढ़ता था। उसने मुझे पूछा कि क्या तुमने न्यूज़ देखी? मैं खुद को संभालते हुए धीमी आवाज़ में बोला हाँ, फ़िर उसने कहा जानते भी हो क्या हुआ था और न्यूज़ पर ऐसा क्यों दिखा रहें हैं? उसने बताया गीता और रिज़वान एक दूसरे से शादी करना चाहते थे। इसलिए गांव के लोगों ने उन्हें मार दिया। मैंने उससे पूछा की गांव वालों में कौन? तभी उसने जवाब दिया, शायद गांव के कुछ लड़कों ने।
पिछले दिनों से इंटरनेट पर लव जिहाद के बारे में कई बातें की जा रही थी। मैं गोपाल से यह पूछ बैठा कि क्या तुम भी मानते हो कि रिज़वान ग़लत लड़का था। तभी उसने जवाब दिया, “तुम तो जानते ही हो रिज़वान मुस्लिम था और गीता हिन्दू। मुस्लिमों के कल्चर अलग होते हैं। धर्म अलग है और उनमें शादियों पर भी तो पाबंदी नहीं हैं। तभी तो रिज़वान की बहन को उसके पति ने दूसरी शादी करने के बाद छोड़ दिया।”
उसके इस जवाब ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया। मैंने उससे कहा तुम तो जानते हो ना कि गीता और रिज़वान कितने अच्छे दोस्त थे। गीता हमारे क्लास की टॉपर भी थी। शायद मेरा उन दोनों की तारीफ़ करना उसे सही नहीं लगा, तभी उसने धीरे से “हुँ” करके फ़ोन रख दिया। मुझे ये सब ग़लत लग रहा था। मैं ख़ुद में उलझा था कि क्या एक लड़की अपनी मर्ज़ी से जीवन साथी नहीं चुन सकती? एक मुस्लिम लड़का किसी लड़की से शादी नहीं कर सकता क्योंकि वह दूसरे अलौकिक शक्ति में विश्वास रखते हैं? अलग-अलग धर्म को मानते हैं?
मैंने भी तो बचपन से पढ़ा था कि सभी धर्म एक समान है। सबका सम्मान करना चाहिए, तो क्या पढ़ाये गए वो सारी बातें झूठी थीं? क्या उनका वास्तविक जीवन में कोई महत्व नहीं? मैं अपने कमरे में बैठा इन्हीं बातों में उलझा था, तभी मेरे ध्यान में कई ऐसे लोगों के चेहरे सामने आ रहे थे। ये सारी मेरे साथ पढ़ने वाली लड़कियाँ थी।
हमारे सरपंच अंकल का बेटा भी तो एक अच्छी सी नौकरी लेकर अभी कुछ दिन पहले ही तो हमारे अपार्टमेंट में आया है। वह लिज़ा के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में है। मैं उस वक़्त यही सोच रहा था कि क्या केवल गांव और शहरों की वजह से जाती-धर्म के मायने बदल जाते हैं? क्या रिज़वान और गीता को इसलिए मार दिया क्योंकि वे दिल्ली जैसे बड़े शहरों में ना रहकर एक गांव के थे? नहीं ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि हमें हमेशा से यही बताया गया है कि बड़े शहर ज्यादा प्रदूषित होते हैं। वहाँ का वातावरण दूषित होता है। पर उन लोगों को कौन समझाए कि शहरों में पेड़-पौधे लगाकर तो प्रदूषण को कम किया जा सकता है, लेकिन प्रदूषित सोच का क्या?
लव जिहाद – इस गलत और प्रदूषित धारणा को कैसे बदला जाए ?
Note: 2018 में ब्रेकथ्रू ने हज़ारीबाग और लखनऊ में सोशल मीडिया स्किल्स पर वर्कशॉप्स आयोजित किये थे। इन वर्कशॉप्स में एक वर्कशॉप ब्लॉग लेखन पर केंद्रित था। यह ब्लॉग पोस्ट इस वर्कशॉप का परिणाम है।