मैं एक लड़की हूँ और मेरा नाम अनामिका कुमारी है। मेरी उम्र २४ साल की है और मैं M.A. की पढ़ाई कर रही हूँ। मैं जन्म से ही साँवले रंग की हूँ, जिसके कारण मुझे बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। लोग ज़्यादा गोरे लोगों को पसंद करते है। जब मैं स्कूल जाती थी तब भी मेरे क्लास में लड़के ज़्यादा गोरी लड़की से ही बात करते थे। मुझसे कोई बात नहीं करता था क्योंकि मैं साँवली थी। मुझे यह अच्छा नहीं लगता और मैं हमेशा रोने लगती। ये सोचती थी कि काश, भगवान ने मुझे भी गोरा बनाया होता, तो आज मैं सब के साथ मिल-जुल के रहती।
अब मेरी उम्र शादी लायक़ हो गई है। मेरे घर वालों ने शादी के लिए एक रिश्ते की बात चलाई और देखने के लिए लड़के के घरवाले आए। लड़का भी आया। लड़के ने मुझे देखा तो बोला कि साँवली है, इसलिए मुझे ये लड़की पसंद नहीं है। मुझे गोरी लड़की से शादी करना है। फिर उसके बाद भी दूसरा रिश्ता आया तो उसने भी कहा कि मैं साँवली हूँ, इसलिए ये मुझे पसंद नहीं है। फिर भी मैं हिम्मत नहीं हारी और अपने पढ़ाई में ध्यान देने लगी। हमेशा इसी बात का डर होता कि मैं साँवली हूँ। तो क्या मुझे जीवन जीने का हक नहीं है? क्या सिर्फ गोरे लोगों में ही सब गुण होते हैं? जो साँवले हैं, क्या उनकी ज़िंदगी नहीं है?
हमारे समाज में भी कई ऐसे लोग हैं जो साँवले लड़कियों और लड़कों को पसंद नहीं करते। वे लोग उन्हें अपने घर की बहू और दामाद नहीं बनाना चाहते। उनकी ये सोच होती है कि अपने बेटे की शादी गोरी लड़की से ही करवाना है, साँवली लड़की से नहीं। ये सब मैं अपने जिंदगी में देखती आई हूँ। इसके लिए मैं अभी भी संघर्ष कर रही हूँ। लोगों को ऐसा क्यों लगता है कि साँवले लड़के या लड़कियाँ अच्छे नहीं होते? लोग साँवले रंग के लड़के या लड़कियों से भेद -भाव करते हैं। मैं यह पूछना चाहती हूँ कि क्या साँवले लड़के और लड़कियों के लिए जिंदगी नहीं है? क्या लोगों की तरह उनको खुशी नहीं मिल सकती ?
मैं ये सब इसलिए बोल रही हूँ क्योंकि ये सब मेरी जिंदगी से जुड़ी हुई बातें हैं। ये सब मेरे साथ हमेशा होता है और लोग मेरे साँवले होने का मज़ाक भी उड़ाते हैं। आज भी हमारे समाज में ये देखा जाता है कि साँवले लड़के और लड़कियों में भेद -भाव किया जाता है। ये भेद -भाव सिर्फ़ लड़कियों के साथ ही नहीं बल्कि लड़कों के साथ भी होता है। कई ऐसे लोग आज भी हैं जो साँवले लड़के या लड़की को पसंद नहीं करते हैं। कई ऐसे लोग हैं जो साँवले लोगों का मज़ाक उड़ाते हैं। ये लोग ये नहीं देखते की उनमें क्या अच्छे गुण है।
मैं जिस गांव में रहती हूँ, वहाँ मेरी सारी सहेलियों की शादी हो गई है और मेरी नहीं हुई है। सब मुझे ये बोलते हैं कि तुम साँवली हो, तुम्हारा चेहरा अच्छा नहीं दिखता और तुम लंबी भी नहीं हो, इसलिए तो तुम्हें लड़के शादी के लिए पसंद नहीं करते। ये सब बातें मुझे अच्छी नहीं लगती। जब मैं उनके पास से गुजरती हूँ, तो वहाँ पास में रहनेवाले लोग मेरा ये कहकर मज़ाक उड़ाते हैं कि अरे, ये वही लड़की है न जिसको शादी के लिए कोई लड़का पसंद नहीं करता और इसकी उम्र भी हो गयी है।
मैं उन लोगो की बातों पर ध्यान नहीं देती और आगे बढ़ने का प्रयास करती हूँ। ये सोचती हूँ कि शादी के बिना भी तो हमारी ज़िंदगी है। शादी ही तो सब कुछ नहीं होता। इसके अलावा भी तो हमारी ज़िंदगी में बहुत कुछ है।
Note: 2018 में ब्रेकथ्रू ने हज़ारीबाग और लखनऊ में सोशल मीडिया स्किल्स पर वर्कशॉप्स आयोजित किये थे। इन वर्कशॉप्स में एक वर्कशॉप ब्लॉग लेखन पर केंद्रित था। यह ब्लॉग पोस्ट इस वर्कशॉप का परिणाम है।